पीएम मोदी का ये बयान हरीश साल्वे और बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत 600 से ज्यादा वकीलों के CJI डीवाई चंद्रचूड़ को लिखी चिट्ठी के बाद आया है. पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी देश के प्रति किसी भी तरह से प्रतिबद्ध होना नहीं चाहती.

नई दिल्ली: 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) को देशभर के प्रमुख वकीलों ने चिट्ठी लिखी है. इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कांग्रेस (Congress) पर निशाना साधा है. पीएम मोदी ने कहा, “दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है. करीब 50 साल पहले कांग्रेस ने बेशर्मी से अपने स्वार्थों को दुनिया के सामने रखा था.” पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी देश के प्रति किसी भी तरह से प्रतिबद्ध होना नहीं चाहती.

पीएम मोदी ने जाने-माने वकीलों की चिट्ठी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर रिपोस्ट करते हुए लिखा, “पांच दशक पहले ही कांग्रेस पार्टी ने ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ (Committed Judiciary) का आह्वान किया था. वे (कांग्रेस) बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता तो चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचती है. अब कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं.”

पीएम मोदी का ये बयान हरीश साल्वे और बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत 600 से ज्यादा वकीलों के CJI डीवाई चंद्रचूड़ को लिखी चिट्ठी के बाद आया है. 600 से अधिक वकीलों ने CJI को लिखी चिट्ठी में कहा है कि एक खास ग्रुप का काम अदालती फैसलों को प्रभावित करने के लिए दबाव डालना है, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जिनसे या तो नेता जुड़े हुए हैं या फिर जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. चिट्ठी में कहा गया है कि इनकी गतिविधियां देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास के लिए खतरा है.

वकीलों का आरोप है कि ये अजीब है कि नेता किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं और फिर अदालत में उनका बचाव करते हैं. ऐसे में अगर अदालत का फैसला उनके मनमाफिक नहीं आता तो वे कोर्ट के भीतर ही या फिर मीडिया के जरिए अदालत की आलोचना करना शुरू कर देते हैं.

इससे पहले ऑल मणिपुर बार एसोसिएशन ने बुधवार को CJI डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखकर न्यायपालिका पर हो रहे ‘सीक्रेट अटैक’ के खिलाफ बोलने की जरूरत पर जोर दिया था. चिट्ठी में बार एसोसिएशन ने कहा था कि वह हाल के रुझानों को लेकर बेहद चिंतित हैं, जहां निहित स्वार्थी समूह ‘तुच्छ तर्क’ और ‘राजनीतिक एजेंडे’ के साथ अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.

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