इंसान ग्लूकोमा से पीड़ित है या नहीं, इसका पता जेनेटिक ब्लड टेस्ट से भी लगाया जा सकता है। वर्तमान में होने वाली जांचों से यह 15 गुना तक बेहतर है। यह जांच लोगों को ग्लूकोमा की शुरुआती अवस्था में ही अलर्ट कर देती है।

इस नई तरह की जांच को ऑस्ट्रेलिया की फ्लाइंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है। शोधकर्ताओं का कहना है, जेनेटिक ब्लड टेस्ट बीमारी की जानकारी समय से देने में कितना सफल है इसे जानने के लिए 4,13,844 लोगों का टेस्ट किया गया। इनमें ग्लूकोमा के मरीज और स्वस्थ, दोनों तरह के लोग शामिल थे।

 क्या है ग्लूकोमा

दुनियाभर में दृष्टिहीनता की बड़ी वजह है ग्लूकोमा। ग्लूकोमा होने पर आंख में नसों में प्रेशर काफी अधिक बढ़ जाता है। इसका बुरा असर आंखों की रोशनी पर पड़ने लगता है। सही समय पर इलाज ना किया जाए तो मरीज अंधा भी हो सकता है। देश में 40 साल और इससे अधिक उम्र के 11 लाख से अधिक मरीज ग्लूकोमा से जूझ रहे हैं।

कैसे काम करता टेस्ट

शोधकर्ता जैमी क्रेग कहते हैं, अगर इंसान की जेनेटिक इंफॉर्मेशन का पता चल जाए तो बीमारी का पता शुरुआती अवस्था में भी लग सकता है। ब्लड टेस्ट की मदद से इसी जेनेटिक इंफॉर्मेशन का पता लगाया जाता है। वर्तमान में ग्लूकोमा की जांच के लिए जेनेटिक टेस्टिंग का प्रयोग नहीं किया जाता, लेकिन ऐसा किया जाए तो काफी बदलाव किया जा सकता है। हमनें क्लीनिकल ट्रायल में टेस्टिंग शुरू कर दी है।ऑस्ट्रेलिया में अब तक 2507 और ब्रिटेन में 4,11,337 लोगों की जांच हो चुकी है। जांच में सामने आया कि नई टेस्टिंग पुरानी जांच के मुकबाले 15 गुना तक बेहतर है।

लार से भी हो सकेगा टेस्ट

शोधकर्ताओं का कहना है, हम लोग ब्लड टेस्ट पर काम कर रहे हैं, लेकिन लार की मदद से भी जेनेटिक टेस्ट किया जा सकता है। शुरुआती स्टडी पूरी हो चुकी है।

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