कोरोनाकाल में जहां एक ओर लाकडाउन था वहीं दूसरी ओर भिलाई इस्पात संयंत्र के श्रमवीर देश को विकास के पथ पर अग्रसर रखने जान की बाजी लगाकर संयंत्र में उत्पादन जारी रखे हुए थे।गुरुवार को दोपहर एक बजे से उन्होंने अपना आंदोलन शुरू किया। परिवार के मुखिया को खोने का दर्द जेहन में लिए आश्रितों ने बीएसपी-सेल प्रबंधन को जमकर कोसा। उनका साफ कहना था कितीन माह होने जा रहे हैं परन्तु अनुकंपा नियुक्ति मिलेगी अथवा नहीं सेल बीएसपी स्पष्ट नहीं कर पाया है अनिश्चिता के बीच हमारे पास सड़क पर आने के सिवाए कोई चार नहीं बचा है।
उन्होंने लगातार बैठकें की और अपनी मांग को लेकर रणनीति भी बना ली है। पीड़ित परिवार के सदस्यों ने बताया किवर्तमान में करीब 150 परिवार एकजुट हो गए हैं और जल्द ही अन्य परिवार भी साथ आ जाएंगे। इसके अलावा आंदोलन को लेकर हर स्त्र पर कवायद की जाएगी।249 कर्मचारी व अधिकारियों की मौत हो गई। इन 249 परिवारजनों के यहां मुखिया के जाने का गम तो है ही परन्तु आगे अब क्या होगा यह सवाल उनकी जेहन में कौंध रहा है। तीन माह होने को है परन्तु इस सवाल का जवाब उन्हें अब तक नहीं मिल पाया है। इससे उनमें आक्रोश पनपते जा रहा है।