Category: एक कविता रोज़

मेरे बचपन की बारिश बड़ी हो गयी

ऑफिस की खिड़की से जब देखा मैने,मौसम की पहली बरसात को।। काले बादल के गरज पे नाचती, बूँदों की बारात को।। एक बच्चा मुझसे निकालकर भागा था भीगने बाहर। रोका…

कविता :-काश ज़िंदगी एक किताब होती

काश,जिंदगी सचमुच किताब होती पढ़ सकता मैं कि आगे क्या होगा? क्या पाऊँगा मैं और क्या दिल खोयेगा? कब थोड़ी खुशी मिलेगी, कब दिल रोयेगा? काश जिदंगी सचमुच किताब होती,…

कविता :- “बारिश जब आती है”

बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है, प्यासी धरती की प्यास बुझाती है, मिटटी की भीनी सुगंध फैलाती है, बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है। भीषण गर्मी…

कविता:- दोस्ती एक विश्वास

प्रेम और त्याग के धागे से जुड़ा, एक विश्वास है दोस्ती। दुनिया के सभी रिश्तों में, सबसे खास है दोस्ती। दिलों को दिलों से जोड़ने वाला, एक प्यारा अहसास है…

आग (Fire)

धधक रही है आग उड़ा रही है राख पूरी दुनिया में फैलने को बेकरार है ये आग जो भी इस आग के सामने आएगा ख़ाक में मिल जाएगा मामूली नहीं…

अबकी बार लौटा तो बृहत्तर लौटूंगा – कुंवर नारायण

अबकी बार लौटा तो बृहत्तर लौटूंगा चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं कमर में बांधें लोहे की पूँछे नहीं जगह दूंगा साथ चल रहे लोगों को तरेर कर न देखूंगा…