धूप में घुमने-फिरने से सन टैन, सन बर्न जैसे कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। टैनिंग के अलावा सूरज की हानिकारक अल्ट्रा वॉयलेट किरणें स्कीन को नुकसान पहुंचाती हैं जैसे स्कीन पर जल्दी लकीरें होना और रिंकल्स दिखाई देना। तेज धूप के कारण स्कीन पर काले धब्बे या चकत्ते भी हो सकते हैं। इसलिए स्कीन पर ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन लगाने से सूरज की यूवी-ए और यूवी-बी किरणों से बचा जा सकता है। जो लोग धूप में ज्यादा घूमते-फिरते हैं, उनकी स्किन में नमी भी हो सकती है। अधिकतर सनस्क्रीन में मॉइश्चराइजर होता है। इसलिए जब तक स्कीन ज्यादा ड्राय न हो तब तक मॉइश्चराइजर और सनस्क्रीन दोनों एक साथ न लगाएं।

सनस्क्रीन खरीदने से पहले एसपीएफ भी देखना चाहिए। यह एक सन प्रोटेक्शन फैक्टर है जिसकी संख्या लेबल पर दी जाती है। यह धूप में रहने के समय और व्यक्ति की स्किन सेंसिटिविटी पर निर्भर करता है। स्कीन के लिए 20 और 25 का एसपीएफ सही रहता है। धूप से त्वचा पर एलर्जी, रेडनेस या काले धब्बे होने पर 30 या 40 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लगाया जा सकता है। यह एसपीएफ 60 तक भी होता है।

आपका सनस्क्रीन स्किन टाइप के हिसाब से होना चाहिए। सनस्क्रीन और सन ब्लॉक लोशन और क्रीम दोनों रूपों में उपलब्ध है। धूप के संपर्क में आने से स्कीन में नमी कम हो जाती है जिससे ड्रायनेस बढ़ती है। अधिकतर सनस्क्रीन में मॉइश्चराइजर होता है। लेकिन अगर त्वचा ड्राय है तो आप सनस्क्रीन लगा सकते हैं। आप पहले कुछ मिनट रूकें और फिर मॉइश्चराइजर या सनस्क्रीन लगाएं। सामान्य या ऑइली त्वचा पर ऑइल फ्री सनस्क्रीन जेल लगाएं ताकि रोमछिद्र बंद न हों और पिंपल्स न हों।

यह भी जरूरी है कि सनस्क्रीन न सिर्फ चेहरे पर बल्कि शरीर के अन्य भागों पर भी लगाया जाना चाहिए। गर्दन, हाथों और पैरों पर भी इसे लगाना इफेक्टिव है। धूप में जाने से लगभग 20 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाना चाहिए। यदि आप एक घंटे से अधिक समय तक धूप में रहते हैं तो आपको फिर से सनस्क्रीन लगाना चाहिए। दोपहर से 3 बजे के बीच धूप में निकलने से बचने की कोशिश करें।

 

 

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *