में ऊब चुका हूं
में वाकई अब ऊब चुका हूं
तुम्हारी इन लंबी लेखों से
तुम्हारी इन कविताओं से
जिसमे तुम एक मजदूर की
मार्मिक कहानियों कहते हो

जिसमे तुम
उसकी रोटी की मजबूरी
के लिए ईट की मजदूरी
पर दया का भाव दिखते हो
तुम उसकी मेहनत पर करुण
डाल के
उसे बेचारा बना देते हो ।
और तुम्हारी लेख , कहानी,कविता
यहां तक कि चित्रकारी भी
तारीफे बटोरती है
उन तारीफो में तुम्हारा ही
जिक्र ज्यादा होता है
उसका नही जिसकी तस्वीर तुमने उकेरी है

ए जालिमों, तुम्हे शायद
नही जानते
तुमने मजदूर को अनजाने में बेचारापन दे दिया है
जो
उसे अंदर तक खोखला कर देता है
इतना ही नहीं
तुमने हर
मेहनतकश इंसान को
मजदूर से मजबूर बन दिया है।।।।

इंद्रेश कुमार पाण्डेय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *