भारत के पास जल्द ही हर तरीके की कोरोना वैक्सीन उपलब्ध होगी, जिसमें डीएनए और एमआरएन जैसी तकनीक भी शामिल हैं। इसे पैन कोरोना वैक्सीन के रूप में जाना जाएगा। वहीं, अगले चार सप्ताह बाद बच्चों को जायडस कैडिला की वैक्सीन दी जा सकती है।
केंद्रीय बायोटेक्नोलॉजी सचिव डॉ. रेणु स्वरुप ने बताया, देश में 80 हजार से अधिक सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग हो चुकी है। वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण वालों में डेल्टा और अल्फा वैरिएंट की पहचान हुई है। डॉ. रेणु स्वरुप ने बताया, देश में कोरोना के अलग-अलग वैरिंएट मौजूद हैं। 232 से भी अधिक म्यूटेशन पता चल चुके हैं लेकिन सभी नुकसादायक नहीं है। देश में छह वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की अनुमति मिल चुकी है, जिनमें से तीन कोविशील्ड, कोवाक्सिन और स्पूतनिक-वी ही उपलब्ध हैं।
सचिव ने कहा कि जायडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की अनुमति मिल चुकी है। इस वैक्सीन को 12 वर्ष या उससे अधिक आयु में इस्तेमाल किया जा सकता है। अभी कम से कम चार सप्ताह का वक्त इसमें लग सकता है। अनुमान है कि आगामी सिंतबर में यह टीकाकरण शुरू होगा। तब तक कोवाक्सिन का परीक्षण भी पूरा होने की उम्मीद है। वैक्सीन के परीक्षण में शामिल लोगों को भी अब वैक्सीन प्रमाणपत्र जारी होना शुरू हो चुका है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने फॉर्मा कंपनियों को इसके लिए निर्देश दिए थे। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने परीक्षण में शामिल लोगों को सर्टिफिकेट उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है।
पिछले साल भारत में शुरू हुए कोवाक्सिन, कोविशील्ड, जायडस कैडिला की कई वैक्सीन के परीक्षण में करीब एक लाख से अधिक लोग शामिल हुए। तीसरे चरण के परीक्षण के दौरान कुछ लोगों को वैक्सीन जबकि कुछ को प्लसीबो दिया गया।