नगांव और आसपास के होजई जिले सेना, एनडीआरएफ और राज्य बलों को शामिल करते हुए बचाव कार्यों का केंद्र बिंदु रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. कई इलाकों में स्थानीय लोग बिना किसी बाहरी मदद के फंसे हुए लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

महज दो दिनों में गांव में सैकड़ों परिवार पानी में डूब गए हैं. 41 साल की लीलाबती दास अपने घर को देखकर आंसू नहीं रोक पा रही हैं. उसकी मिट्टी की झोपड़ी पहले ही बाढ़ के पानी को रास्ता दे चुकी है, वर्तमान में कमर तक गहरी और घंटे के हिसाब से पानी ऊपर उठ रही है.

लीलाबती और उनके सात लोगों का परिवार बाढ़ में फंसा हुआ है, उनकी दस बीघे की खेती भी नष्ट हो गई है. इन जमीनों से होने वाली उपज से उन्हें एक साल तक खाना मिलता और परिवार को कम से कम एक लाख रुपये की आमदनी होती, लेकिन अब कुछ नहीं बचा है.

लीलाबती ने NDTV को बताया, “हमने अपनी दस बीघा जमीन में धान की खेती के लिए ₹ 50 हजार का कर्ज लिया था. अब हम कैसे चुकाएंगे? हम एक दिन में केवल एक बार भोजन कर रहे हैं और हमारे पास कहीं और जाने के लिए संसाधन नहीं हैं. हम सरकारी मदद की प्रतीक्षा कर रहे हैं.” उनके 80 साल के ससुर मंगल दास ने कहा कि मैंने कई बाढ़ देखे, लेकिन इस बार काफी भयावह है.

असम में बढ़ते बाढ़ के पानी के बीच, सरकार के लिए अपने बचाव और राहत कार्यों में तेजी लाने की चुनौती है, लेकिन लीलाबती जैसे सैकड़ों परिवारों के लिए, हर बाढ़ अस्तित्व के लिए एक चुनौती है. इस बार कई लोग बिना फसल के, बिना अनाज, पैसे और यहां तक ​​कि एक देसी नाव के बिना सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए छोड़ दिए गए हैं, वे केवल सरकारी मदद की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

हालांकि नगांव और आसपास के होजई जिले सेना, एनडीआरएफ और राज्य बलों को शामिल करते हुए बचाव कार्यों का केंद्र बिंदु रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. कई इलाकों में स्थानीय लोग बिना किसी बाहरी मदद के फंसे हुए लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

स्थानीय रंजीत सरकार ने कहा, “मंडल में एक विशाल क्षेत्र में, लोग पूरी तरह से जलमग्न गांवों में फंसे हुए हैं. उनके पास कोई संसाधन नहीं बचा है. कई लोगों के पास नाव नहीं है क्योंकि यह कई वर्षों में पहली बार है कि एक भीषण बाढ़ आई है.” स्थानीय लोग रात में भी लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.

लोगों के बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हरमोहन रॉय ने कहा, “बाढ़ का पानी बढ़ने से कई पंचायतें हर तरफ से कट गई हैं, जिसके कारण आवश्यक चीजों की कमी हो गई है. सरकार प्रयास कर रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *