पांच हजार लीटर से ज्यादा पेंट का हो चुका उत्पादन
छत्तीसगढ़ में गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण का नवाचार तेजी से राज्य के अलग-अलग इलाकों में विस्तारित होने लगा है। बस्तर का प्रवेश द्वार कांकेर जिले केे गौठान से जुड़ी आदिवासी महिलाओं ने भी इस नवाचार को अपनाते हुए गोबर से बड़े पैमाने पर प्राकृतिक पेंट बनाने लगी है, जिसकी रंगत ने मल्टीनेंशनल कंपनियों के पेंट को फीका कर दिया है। कांकेर जिले के वनांचल के गांव सराधु नवागांव के गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने और बेचने लगी है। हैरत की बात यह कि कम समय में महिलाओं ने अपनी लगन और मेहनत से 5000 लीटर से ज्यादा पेंट का उत्पादन किया है, जिसकी बिक्री लगातार जारी है। केमिकल पेंट बनाने वाली मल्टीनेंशनल कंपनियों की तुलना में गोबर से बने प्राकृतिक पेंट किफायती और इको-फ्रेंडली है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार गौठानों को रूरल औद्यौगिक पार्क के रूप में विकसित कर रही है ताकि यहां आय मूलक गतिविधियों और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा मिल सके। गौठानों से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा विविध आय मूलक गतिविधियां जैसे गोबर से वर्मी कम्पोस्ट दीया, गमला, अगरबत्ती सहित अन्य सामग्री तैयार कर रही है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने का नवाचार प्रदेश में शुरू हो चुका है। रायपुर, दुर्ग और कांकेर के कुल 05 यूनिट स्थापित एवं क्रियाशील हो चुकी हैं, जहां प्राकृतिक पेंट का उत्पादन सह-विक्रय किया जा रहा है। इस पेंट की कीमत बाजार में उपलब्ध प्रीमियम क्वालिटी के पेंट की तुलना में 30 से 40 फीसदी कम है। प्राकृतिक तत्व का समावेश होने की वजह से यह एन्टी बैक्टीरिया, एंटीफंगल, इको-फ्रेंडली, नॉन टॉक्सिक है। छत्तीसगढ़ शासन में हाल में ही शासकीय भवनों को गोबर पेंट से पुताई करने को आदेश भी जारी किया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गत दिवस रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में इस गौठान समिति के अध्यक्ष श्री सरजू राम नरेटी को सम्मानित भी किया था।