किशोर भी बिहार में पदयात्रा में जुटे हुए हैं। पश्चिम चंपारण जिले में एक जनसभा के दौरान उन्होंने कहा था, ‘अगर आपने NDA छोड़ दी है, तो आप वह पद क्यों नहीं छोड़ रहे? वह पद छोड़ें या सांसद हटा दें।’

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस यानी NDA के रिश्ते टूट चुके हैं। लेकिन चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर दावा कर रहे हैं की नीतीश ने भारतीय जनता पार्टी के साथ सभी दरवाजे बंद नहीं किए हैं। वह अपने इस दावे के लिए राज्यसभा के उपसभापति पद का सहारा ले रहे हैं। हालांकि, नीतीश इसपर उल्टा किशोर को ही घेर रहे हैं। बहरहाल, अगर 14 साल पुरानी सियासी घटना पर गौर किया जाए, जहां CPM और UPA में खींचतान के बीच तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी को पार्टी से बाहर निकाला गया था, तो किशोर के दावों को बल मिलता दिख रहा है।

पहले समझें किशोर ने क्या कहा
किशोर भी बिहार में पदयात्रा में जुटे हुए हैं। पश्चिम चंपारण जिले में एक जनसभा के दौरान उन्होंने कहा था, ‘अगर आपने NDA छोड़ दी है, तो आप वह पद क्यों नहीं छोड़ रहे? वह पद छोड़ें या सांसद हटा दें।’ उन्होंने जनता दल (यूनाइटेड) कोटे के सांसद हरिवंश नारायण सिंह को पद से हटाने की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने नीतीश पर भाजपा के साथ विकल्प खुला रखने और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ सरकार चलाने के जरिए जनता को ‘डबल क्रॉस’ करने के आरोप लगाए।

2008 में क्या हुआ था?
साल 2008 में भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली UPA सरकार में तनातनी शुरू हो गई थी। नौबत यहां तक आ गई कि वाम दल ने 9 जुलाई को डील के खिलाफ विरोध में सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। 2004 में बनी सरकार में वाम नेता सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे। खास बात है कि वह लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले पहले कम्युनिस्ट सांसद थे।

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