एक तरफ दुनिया भर के देश भारतीय गेहूं के लिए मोदी सरकार से निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं तो दूसरी ओर तुर्की ने बेतुके बयान के बाद भारतीय गेहूं को खराब बताकर वापस कर दिया।

एक तरफ दुनिया भर के देश भारतीय गेहूं के लिए मोदी सरकार से निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं तो दूसरी ओर तुर्की ने बेतुके बयान के बाद भारतीय गेहूं को खराब बताकर वापस कर दिया। 56877 टन भारतीय गेहूं से लदे जहाजों को 29 मई से तुर्की से वापस गुजरात के बंदरगाहों की तरफ लाया जा रहा है। तुर्की ने कहा है कि भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस मिला है। इसलिए वे इसे वापस भेज रहे हैं। तुर्की का यह कदम आश्चर्य भरा नहीं है, इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने कश्मीर पर जहर भी उगला था।

तुर्की ने फाइटोसैनिटरी चिंताओं के आधार पर भारतीय गेहूं की खेप को खारिज कर दिया और वापस भारत भेज दिया है। इन जहाजों को तुर्की से गुजरात के कंडाला बंदरगाह पर वापस आ रहा है। एसएंडपी ग्लोबल कम्युनिटी इनसाइट्स के एक अपडेट के अनुसार, इस कदम ने भारतीय व्यापारियों में काफी चिंता पैदा कर दी है। तुर्की के अधिकारियों ने कहा है कि भारत से गेहूं की खेप का रूबेला वायरॉस का पता चला है और इसलिए तुर्की के कृषि और वानिकी मंत्रालय द्वारा इसे प्रयोग में लाने की अनुमति नहीं दी गई।

अब तक, भारत के वाणिज्य और कृषि मंत्रालयों ने स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, अधिकारियों का मानना ​​है कि भारतीय रूबेला पौधे की बीमारी किसी भी आयातक देश के लिए गंभीर चिंता का कारण हो सकती है, हालांकि भारतीय गेहूं के मामले में यह एक दुर्लभ उदाहरण है।

क्या है रूबेला वायरस
रूबेला वायरस या जर्मन खसरा एक संक्रामक वायरल है। यह अक्सर शरीर पर विशिष्ट लाल चकत्ते दिखाता है। इससे संक्रामक रोगियों में कोई खास लक्षण नहीं होते। रूबेला वायरस से संक्रमण 3-5 दिनों तक रह सकता है और यह तब फैल सकता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है या नाक और गले से स्राव रहता है।

तुर्की के आरोपों से भारत पर क्या असर?
कहा जा रहा है कि ऐसे समय में पूरी दुनिया कोरोना महामारी और यू्क्रेन-रूस के बीच महायुद्ध से जूझ रही है, भारतीय गेहूं की डिमांड बढ़ी है। जिसके बाद भारत सरकार को इसके निर्यात पर रोक लगानी पड़ी। भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस के आरोप चिंताजनक हो सकते हैं। रूबेला की चिंताओं पर तुर्की का भारतीय गेहूं को वापस लौटाना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग को प्रभावित कर सकता है। इससे देश और विदेश में गेहूं की कीमतों में कमी आ सकती है।

कश्मीर पर क्या बोले थे एर्दोगान
एर्दोगान ने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ के साथ एक संयुक्त सम्मेलन में पाक की तरफदारी दी। कहा कि वह कश्‍मीर पर आए प्रस्‍तावों का समर्थन करते हैं और चाहते हैं कि इस दशकों पुराने विवाद का समाधान संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रस्‍तावों के मुताबिक हो। तुर्की के राष्‍ट्रपति ने यह भी कहा कि साल 2023 से पाकिस्‍तान और तुर्की मिलकर युद्धपोत बनाएंगे।

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