नीतीश कुमार ने मंगलवार शाम को ही इनेलो के मुखिया ओमप्रकाश चौटाला से मीटिंग की थी। इसके बाद पता चला कि हरियाणा में देवीलाल की जयंती पर एक बड़ा आयोजन होने वाला है। लेकिन अरविंद केजरीवाल इससे दूर होंगे।

बिहार के सीएम नीतीश कुमार इन दिनों देश भर के नेताओं से मिल रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की। इस दौरान जेडीयू नेता संजय झा और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे। मीटिंग के बारे में बहुत ज्यादा डिटेल सामने नहीं आई है, लेकिन जिस तरह का घटनाक्रम दिख रहा है, उससे ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी विपक्षी एकता की कवायद से दूर ही रहने वाली है। नीतीश कुमार ने मंगलवार शाम को ही इनेलो के मुखिया ओमप्रकाश चौटाला से मीटिंग की थी। इसके बाद पता चला कि हरियाणा में देवीलाल की जयंती पर एक बड़ा आयोजन होने वाला है।

इस रैली में नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और प्रकाश सिंह बादल समेत विपक्ष के तमाम नेता आ रहे हैं। कांग्रेस को इस रैली से दूर रखा गया है और गैर-भाजपा एवं गैर-कांग्रेसी दलों की एकजुटता की कोशिश की जा रही है। इस लिहाज से आम आदमी पार्टी को भी इसका हिस्सा होना चाहिए था, लेकिन वह अलग ही दिख रही है। अब तक जिन नेताओं के रैली में जाने की बात हुई है, उनमें अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं है। इससे पहले उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर हुई बैठकों से भी आप दूर ही दिख रही थी। ऐसे में यह सवाल जरूर उठता है कि आखिर अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिक्स क्या है?

गुजरात में भाजपा के खिलाफ डटी, पर विपक्षी एकता से क्यों हटी

आम आदमी पार्टी की पॉलिटिक्स को समझने वाले कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल दरअसल नैरेटिव वॉर में भाजपा को घेरना चाहते हैं। यही वजह है कि वह लगातार भाजपा के गुजरात मॉडल पर सवाल उठा रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला किए बिना अरविंद केजरीवाल और ‘आप’ ने भाजपा पर अटैक किया है। यही वजह है कि हिमाचल से ज्यादा वह गुजरात में सक्रिय हैं ताकि भाजपा के पुराने गढ़ में उसे नुकसान पहुंचाया जाए। इसके अलावा दिल्ली में भी एलजी से लेकर भाजपा तक पर आम आदमी पार्टी के नेता सीधे हमले कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि आम आदमी पार्टी खुद को भाजपा की कट्टर दुश्मन के तौर पर दिखाना चाहती है। उसे लगता है कि ऐसा करने से वह खुद को भाजपा के विकल्प के तौर पर देश भर में पेश कर पाएगी।

विपक्षी दलों से दूर-दूर क्यों दिख रहे केजरीवाल?

अब सवाल यह है कि खुद को भाजपा का कट्टर दुश्मन दिखाने के बाद भी अरविंद केजरीवाल विपक्षी एकता के प्रयासों से दूर क्यों हैं। दरअसल इसकी वजह यह है कि भाजपा से मुकाबले अरविंद केजरीवाल दूसरे विपक्षी दलों की लीग में नहीं दिखना चाहते। आरजेडी, एनसीपी से लेकर शिवसेना तक सभी दलों पर भाजपा परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही है।

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