पटना : नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के संबंध कम से कम मधुर तो नहीं है। कई मौकों पर इसकी बानगी दिख चुकी है। मामला सियासी और व्यक्तिगत दोनों हो सकता है। सोन नदी पर बने पुल के डाउनस्ट्रीम के उद्घाटन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नहीं बुलाया गया। बिहार NDA में जेडीयू और बीजेपी ( BJP-JDU ) के बीच अंदरूनी खींचतान को भी दिखाता है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसका उद्घाटन किया। इस मौके पर बिहार बीजेपी से जुड़े तमाम बड़े नेता मौजूद रहे।

गडकरी के कार्यक्रम में नीतीश को बुलावा नहीं
भोजपुर जिले के कोइलवर में बने तीन लेन सड़क पुल का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कर दिया। इसका पोस्टर भोजपुर से लेकर पटना तक लगा हुआ है। इस पोस्टर में सीएम नीतीश का चेहरा गायब है। शुरू में मामला पॉलिटिकल लग रहा था, बाद में पता चला कि नीतीश कुमार को कार्यक्रम में बुलाया ही नहीं गया था। हालांकि ये पहला मौका नहीं है, जब किसी बात को लेकर दोनों दल आमने-सामने हैं। इससे पहले भी कई मौकों पर दोनों दल एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं और एक दूसरे के खिलाफ बोलते रहे हैं। दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर छींटाकशी करने से भी बाज नहीं आते हैं। ताजा मामला इसी सियासी घमासान की ओर इशारा कर रहा है। जेडीयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने तो इस कार्यक्रम को बीजेपी का ही बता दिया।

नीतीश कुमार की गडकरी से पुरानी अदावत
पटना में एक कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने गडकरी का नाम लिए बिना कहा था कि ‘पता नहीं मंत्री उनसे काम करने का वादा तो करते हैं लेकिन वो काम हो नहीं पा रहा है। एनएच के मरम्मती का 970 करोड़ रुपए बकाया है लेकिन अब तक नहीं मिल पाया है।’ नीतीश कुमार ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय पर बिहार का बकाया 970 करोड़ रुपए नहीं देने का भी आरोप लगाया था। तब नीतीश कुमार ने कहा था कि ये राशि राज्य सरकार ने अपनी तरफ से नेशनल हाई-वे के रख-रखाव और मरम्मत पर खर्च की थी, जो अभी तक नहीं मिली।

गडकरी के भी निशाने पर रहते हैं नीतीश कुमार

नीतीश कुमार ही नहीं नितिन गडकरी भी नीतीश कुमार के काम करने के तरीके पर सवाल उठा चुके हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि नीतीश सरकार की लचर कार्यशैली के कारण दो लाख करोड़ रुपए का रोड-रेल पुल प्रोजेक्ट अटका पड़ा है। उन्होंने राज्य सरकार पर जमीन अधिग्रहण में विफल रहने का आरोप लगाया था। सीधे-सीधे नीतीश कुमार पर नितिन गडकरी ने आरोप लगाया था। फिर मुख्यमंत्री सचिवालय ने प्रेस नोट के जरिए इसे खारिज किया था। तब मामला काफी सुर्खियों में आया था। लेकिन गडकरी ने राज्य सरकार पर प्रहार जारी रखा। लोकसभा में बिहार के एक रोड प्रोजेक्ट पर सवाल पूछा गया तो गडकरी ने कहा कि अपने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर से कहिए, जमीन अधिग्रहण तेज करें। हम 80 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण हुए बिना कोई काम चालू नहीं कर सकते।

…तब नीतीश ने की थी नितिन गडकरी से डिमांड
पटना को उत्तर बिहार से जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर उद्घाटन कार्यक्रम में भी दोनों की बयानबाजी दिखी थी। नीतीश कुमार ने नितिन गडकरी को याद दिलाया कि हमने आपसे दो की मांग की थी। इसमें हमने कहा था कि विक्रमशिला सेतु के समानांतर एक फोरलेन पुल का निर्माण कराइए। नीतीश कुमार ने नितिन गडकरी से अनुरोध करते हुए कहा कि दूसरा चीज आप भूलिएगा मत कि हमने आपसे कहा था कि बक्सर से सीधे वाराणसी को जोड़ने के लिए सीधा एक्सप्रेस-वे बना दीजिए, ये बहुत बड़ा काम है। अभी जो रास्ता है वो बहुत दूर से जाता है। इसके बन जाने से लोगों को सहूलियत होगी। बस मेरा ये आग्रह है इसे थोड़ा ध्यान में रखिएगा। तब नीतीश कुमार को गडकरी से पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला था।

पुल गिरने की घटना में भी बिहार का जिक्र
हाल ही बिहार को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक और बयान दिया था। सुल्तानगंज में एक निर्माणाधीन सड़क पुल का हिस्सा गिरने के लिए ‘तेज हवाओं’ को जिम्मेदार बताने वाले एक वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी के बयान पर आश्चर्य जताया था। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘बिहार में 29 अप्रैल को एक पुल गिर गया था। अपने सचिव से इसका कारण पूछने पर उन्होंने जवाब दिया कि ऐसा तेज हवा और धुंध के कारण हुआ था।’ केंद्रीय मंत्री ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि एक आईएएस अधिकारी इस तरह के स्पष्टीकरण पर विश्वास कैसे कर सकता है? गडकरी ने कहा, ‘मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि हवा और धुंध के कारण पुल कैसे गिर सकता है? जरूर कुछ गलती हुई होगी जिससे यह पुल गिरा।’ कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने गुणवत्ता से समझौता किए बिना पुलों के निर्माण की लागत कम करने की जरूरत पर बल दिया। बिहार में सुल्तानगंज से अगुआनी घाट के बीच इस पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2014 में शुरू हुआ था। हालांकि, इसका निर्माण 2019 में ही पूरा हो जाना था लेकिन अभी भी यह पूरा नहीं हो पाया है।

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