मुखपत्र में कहा गया, ” ज्ञानवापी मस्जिद, ताजमहल के नीचे शिवलिंग ढूंढ़नेवाले, गोहत्या के लिए मॉब लिंचिंग करनेवाले तमाम नव हिंदुत्ववादी कश्मीर के हिंदुओं की हत्या अंधा और बहरा बनकर देख रहे हैं.”

मुंबई: 

जम्मू और कश्मीर में हिंदुओं की टारगेट किलिंग और पलायन पर जारी विवाद के बीच शिवसेना (Shivsena) ने अपने मुखपत्र सामान के जरिए केंद्र की बीजेपी (BJP) सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर जमकर निशाना साधा है. सामाना में छपे आलेख में बीजेपी पर आरोप लगाया गया है कि पार्टी वैसे तो हिंदुत्व को बचाने का राग आलापते रहती है. लेकिन जब हिंदुत्व पर संकट आता है तो वो एकदम चुप हो जाती है. पार्टी के दिग्गज नेता पूरे मामले पर चुप्पी साध लेते हैं. सामना में कहा गया है कि पार्टी घाटी में काम करने का दावा करके चुनाव में जीत हासिल करती है. ऐसे में उन्हें आशर्चय होता है कि वहां के लोगों की परेशानी से सरकार को कई फर्क क्यों नहीं पड़ता.

‘चुप्पी साधे बैठे हैं दिल्ली के मालिक’

सामना में कहा गया, ” बीजेपी एक अजीब रसायन है. ये लोग वैसे तो राष्ट्रीय व हिंदुत्व के मुद्दों पर गला फाड़कर बात करते रहते हैं. परंतु जब हिंदुत्व सचमुच संकट में आता है तब मुंह में नमक का ढेला लेकर चुप बैठे नजर आते हैं. कश्मीर घाटी में हिंदू पंडितों की हत्या सत्र और पलायन पर बीजेपी व उनके दिल्ली के मालिक चुप्पी साधे बैठे हैं. मोदी सरकार का आठवां जन्मदिन बीजेपीवाले देशभर में मना रहे हैं. आठ वर्षों के कालखंड को उत्सवी स्वरूप दिया जा रहा है”

मुखपत्र में कहा गया, ” कश्मीर से 370 हटाया, पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की, आतंकवादियों की कमर तोड़ दी आदि-आदि कहा जा रहा है परंतु ये भजन-कीर्तन जारी रहने के दौरान कश्मीर घाटी में लगी आग की आंच इन उत्सवी लोगों को न लगे, इस पर हैरानी होती है. जिस सर्जिकल स्ट्राइक का गुणगान किया जा रहा है, उस सर्जिकल स्ट्राइक को भुनाकर पिछला चुनाव जीते, परंतु आज कश्मीर की अवस्था ज्यादा ही बिगड़ गई है और वहां हिंदुओं के खून की नदी बह रही है. कश्मीरी पंडित मारे जा रहे हैं. हिंदुओं ने सामुदायिक पलायन शुरू कर दिया है. कश्मीर की सड़कों पर उतरकर पंडितों का समूह भाजपाइयों को गालियां और श्राप दे रहा है.”

‘सामुदायिक’ किलिंग का मार्ग प्रशस्त

सामना में कहा गया, ” सत्ता की आठवीं वर्षगांठ मनानेवाले अब इन पंडितों को देशद्रोही अथवा पाकिस्तान परस्त न ठहरा दें, बस इतना ही डर है. ‘24 घंटों में हमें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाओ अन्यथा कश्मीर में एक भी हिंदू नहीं बचेगा’ पंडितों का यह आक्रोश उत्सवी राजा के कानों तक पहुंचा है, ऐसा नजर नहीं आ रहा है. सरकार अब क्या करे? कश्मीर घाटी में घुसे पाकिस्तानी आतंकियों को रोकने की बजाय 177 पंडित शिक्षकों का तबादला सुरक्षित स्थान पर कर दिया गया है, ऐसा कह रहे हैं. यह तो ‘रोग से ज्यादा औषधि भयंकर’ ऐसा ही उदाहरण है. इससे ‘टार्गेट किलिंग’ रुकने की बजाय ‘सामुदायिक’ किलिंग का मार्ग प्रशस्त होगा.”

सामना में कहा गया, ” हिंदुओं को कवच देने की बजाय हिंदू भाग जाएं, उसके लिए सरकार किराए के ट्रक व बस की सुविधा उपलब्ध करा रही है. अनुच्छेद 370 भी हटाया. आगे क्या अलग हुआ? सर्जिकल स्ट्राइक का बम निश्चित तौर पर कहां फोड़ा, यह भी रहस्य ही है. अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर में कितने लोगों ने जमीन खरीदी? हम तो कहते हैं, बीजेपी अथवा संघ अपना दूसरा मुख्यालय कश्मीर घाटी में स्थानांतरित किए बगैर ‘कश्मीर हमारा है’, इस पर मुहर नहीं लगेगी. कश्मीर में हिंदुओं का पलायन जारी रहने के दौरान एक भी ‘माई का लाल’ पंडितों की मदद के लिए आगे आया है क्या?”

कश्मीरी पंडितों को महाराष्ट्र सहारा देगा

मुखपत्र में कहा गया, ” ज्ञानवापी मस्जिद, ताजमहल के नीचे शिवलिंग ढूंढ़नेवाले, गोहत्या के लिए मॉब लिंचिंग करनेवाले तमाम नव हिंदुत्ववादी कश्मीर के हिंदुओं की हत्या अंधा और बहरा बनकर देख रहे हैं. ऐसे समय पंडितों के समर्थन के लिए एक बार फिर महाराष्ट्र से ही दहाड़ लगी है. ‘कश्मीरी पंडितों को महाराष्ट्र सहारा देगा, जो चाहिए वो देगा’, ऐसे 56 इंच का सीना और दिलदारपन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिखाकर ‘महाराष्ट्र का आधार इस हिंदुस्तान और हिंदुओं को’ यही साबित किया है. महाराष्ट्र ने पंडितों के सहारे के लिए बाहें फैला दी हैं. शिवराय के हिंदवी स्वराज्य की यही परंपरा है.”

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