वॉट्सऐप पर वायरल होता बिहार लोकसेवा आयोग का पेपर.

ये बीते रविवार खड़े हुए उस विवाद की शुरुआत थी जिसने बीपीएससी की तैयारी करने वाले छह लाख से अधिक छात्रों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है.

इनमें से कई छात्र ग़रीब परिवारों से आते हैं, जिनके लिए टिकट के पैसे जुटाना एक बड़ी चुनौती होता है.

परीक्षा में शामिल होने वाली ज़्यादातर छात्राएं ऐसी पृष्ठभूमि से आती हैं जिनके लिए घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर पेपर देने जाने के लिए अपने परिवारों को मनाना किसी चुनौती से कम नहीं है.

इन तमाम चुनौतियों से जूझते हुए ये छात्र-छात्राएं बीते रविवार की सुबह बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा देने के लिए बिहार के 1083 परीक्षा केंद्रों में पहुँचे थे ताकि वे अपने परिवारों को आर्थिक और सामाजिक रसातल से बाहर निकाल सकें.

लेकिन रविवार सुबह जो कुछ हुआ उसके बाद इन छात्रों और उनके परिवारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

बिहार सरकार ने बीपीएससी पेपर लीक मामले की जांच की ज़िम्मेदारी राज्य पुलिस की आर्थिक एवं सायबर अपराध इकाई को सौंपी है.

बिहार लोकसेवा आयोग ने बीते रविवार आठ मई को बिहार के 38 ज़िलों में बनाए गए 1083 परीक्षा केंद्रों पर 802 पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की थी.

ये परीक्षा दोपहर 12 बजे से शुरू होकर दो बजे ख़त्म होनी थी. और परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को सुबह 11 बजे तक अपने परीक्षा केंद्रों पर पहुँचना था.

ज़्यादातर छात्र तय समय पर अपने-अपने परीक्षा केंद्रों पर पहुँच गए.

ये छात्र जिस वक़्त परीक्षा शुरू होने का इंतज़ार कर रहे थे, लगभग उसी वक़्त सोशल मीडिया पर ख़बरें आने लगीं कि बीपीएससी का पेपर लीक हो गया है.

लीक हुए पेपर की एक प्रति बीपीएससी की तैयारी कर चुके छात्र नेता दिलीप कुमार को भी वॉट्सऐप के ज़रिए मिली, जिन्होंने इस बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय को सूचना दी.

दिलीप कुमार ने बीबीसी को बताया है कि, “मुझे सुबह 11 बजकर 32 मिनट पर वॉट्सऐप पर एक पीडीएफ़ फाइल मिली जिसमें बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्न पत्र था. मैंने 11:49 पर ये कॉपी मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी.”

इसके बाद दिलीप कुमार ने इस बारे में अपने फेसबुक अकाउंट पर भी इस बारे में सूचना दी.

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