पीड़ित महिलाएं बोलीं- ठगों ने हमारे ही पैसों से दुकान, मकान और जमीनें खरीदीं, सरकार इन्हें बेचकर हमें कर्ज मुक्त कराए छत्तीसगढ़ के कोरबा, जांजगीर, बालोद समेत 10 जिलों की महिलाओं से 350 करोड़ से ज्यादा की ठगी करने वाले मास्टरमाइंड के साथ 16 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। उनकी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा खंगाला जा रहा है। कोरबा जिले के एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि ऐसी सभी संपत्तियों का चिह्नांकन करने के बाद उनका मूल्यांकन कराया जाएगा। मूल्यांकन के बाद नियमों के मुताबिक उसकी नीलामी कराई जाएगी। वहीं बालोद जिले के एसडीओपी देवांश सिंह राठौर की मानें तो संपत्ति का चिह्नांकन कर लिया गया है। जल्द ही उसका मूल्यांकन करवाया जाएगा। माना जा रहा है कि नीलामी से मिले पैसों को या तो निवेशकों को लौटाया जाएगा या फिर उनके बैंक के लोन पटाए जाएंगे। ठगी की शिकार महिलाओं ने भी भास्कर से कहा कि ठगों ने हमारे पैसों से ही दुकान, मकान और जमीनें खरीदी हैं। राज्य सरकार ठगी कों संपत्ति की नीलामी कर उन्हें लोन से मुक्ति दिलाएं। जांच अधिकारियों के मुताबिक कोरबा में फ्लोरा मैक्स के खिलाफ की गई कार्रवाई के तहत 62 दुकानों को सील किया गया है। तथा दो बैंक खाते होल्ड कराए गए हैं जिनमें 10 लाख रुपए जमा हैं। काली कमाई से अमीर: 10 हजार महीना कमाने वाला 200 करोड़ का आसामी कोरबा समेत आसपास के पांच जिलों की 35 हजार से ज्यादा महिलाओं को ठगी का शिकार बनाने वाला मास्टरमाइंड कोरबा जिले का अखिलेश सिंह है। 12वीं तक पढ़ा अखिलेश पहले एक किराने की दुकान में 10 हजार रुपए की नौकरी करता था। कोरोना के कारण काम छूटा तो उसने सोशल मीडिया में फ्लोरा मैक्स नाम की एक कंपनी बना ली। उसने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने बैंक से प्रत्येक महिला को 30-30 हजार रुपए का लोन दिलाया। लोन की उस राशि को अपनी कंपनी में निवेश करवाया। वह कुछ लाभांश महिलाओं को देने लगा। देखते ही देखते कोरबा से निकलकर उसने अपना कारोबार जांजगीर, सक्ती, रायगढ़, बिलासपुर समेत कई जिलों में फैला लिया। खोलबहरा जांजगीर में ठगी कर घर से भागा, बालोद में बन गया करोड़पति
बालोद जिले के 90 गांवों की एक हजार से ज्यादा ज्यादा महिलाओं से करोड़ों रुपए की ठगी का मास्टरमा​इंड खोलबहरा कैवर्त्य जांजगीर के कटनई गांव का रहने वाला है। 10-12 साल पहले उसने गांव और आसपास के लोगों से सांईप्रसाद कंपनी के नाम पर करोड़ों रुपए ठगे थे। मामले का खुलासा होने के बाद वह गांव छोड़कर भाग गया और बालोद में आकर बस गया। शुरू में वह टेल​रिंग का काम करने लगा। फिर उसने मशरूम की खेती के बहाने लोगों को जोड़ना शुरू किया। महिलाओं ने बताया कि सप्तऋषि संस्थान का खोलबहरा नामक व्यक्ति दो वर्ष पहले नारागांव आया था। बैंककर्मी बोले- 1 माह में भरवाए गए होंगे आवेदन, तभी इतने बैकों से लोन
अन्नपूर्ण बैंक के प्रतिनिधि सुनील साहू ने बताया कि महिलाओं से एक महीने के भीतर ही सभी से लोन के लिए आवेदन भराए गए होंगे तभी इतने सारे बैंकों से एक साथ लोन पास करवा लिया गया, क्योंकि नियमत: चार से ज्यादा बैकों से लोन ​नहीं दिया जा सकता। यदि लोन निकालने के बाद जब पहली किस्त पटाते हैं इसके बाद कस्टमर का सिबिल स्कोर पता चलता है। इसी तरह ग्राम शक्ति बैंक के मुकेश मेश्राम ने बताया कि पति-पत्नी के आधार परिचय होना जरूरी है। इसके बाद ही लोन दिया जाता है। समूह की एक महिला को अधिकतम 34 हजार तक लोन देते हैं। दोनों ही मामलों में एक मास्टरमाइंड तो पति-पत्नी सहयोगी
कोरबा के फ्लोरा मैक्स कंपनी का मास्टरमाइंड अखिलेश सिंह था जबकि कारोबार फैलाने में उसका भाई राजू सिंह और उसकी पत्नी गुड़िया सिंह मुख्य सहयोगी थे। इसी तरह सत्पऋषि संस्थान का मुख्य मास्टरमा​इंड खोलबहरा कैवर्त्य था। जबकि उसके सहयोगी के रुप में कारोबार को फैलाने में सरिता व चंद्रहास करियाम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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