कोरबा, बालोद समेत 10 जिलों में ठगी के बाद लोन पटाने के दबाव में मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं सैकड़ों परिवार, ऐसे परिवारों के गांव से भास्कर इंवेस्टिगेशन छत्तीसगढ़ में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को बैंक से लोन दिलाने और उन पैसों को अपनी कंपनियों में निवेश कराने के नाम पर करीब 40 हजार महिलाओं से ठगी की गई है। ठगी का शिकार हुए लोग मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहे हैं। मामले का खुलासा होने के बाद अब तक एक हितग्राही और तीन जिलों के तीन एजेंट आत्महत्या कर चुके हैं। उनकी मौत से मामला शांत नहीं हुआ, बल्कि लोन लेने वाले दूसरे लोग भी बैंक वालों के दबाव से परेशान हैं। भास्कर टीम मामले की पड़ताल करने बालोद जिले के भिलाई गांव पहुंची तो पता चला कि तीन परिवार बैंक वालों के तकादे से परेशान होकर गांव छोड़ चुके हैं। इनमें लक्ष्मण यादव, यामन साहू और टिकेश यादव का परिवार शामिल है। गांववालों ने बताया कि 6 महीने से तीनों को किसी ने देखा नहीं है। तीनों पर एक से तीन लाख रुपए का लोन है। तीनों के घरों में ताले लटके हुए हैं। इसी गांव के निषाद परिवार के घर में दिवाली से पहले अंधेरा छा गया। रम्हौतिन निषाद नाम की महिला लोन नहीं पटा पाने से मानसिक रूप से इतनी परेशान हो गई कि उसने आत्महत्या कर ली। रम्हौतिन की मौत के बाद छोटी होने के कारण बेटी को नानी के घर भेज दिया गया है। बेटा काम पर जाता है। पति के पास भी कोई काम नहीं है। गांव वालों के मुताबिक रम्हौतिन ने लोन की किस्त पटाने के लिए गांव के लोगों से आर्थिक मदद भी मांगी थी, लेकिन मायूसी हाथ लगी। कोरबा के सदकुकला गांव की भगवंती दुनिया छोड़ गई : कोरबा जिले के ग्राम सकदुकला की एजेंट भगवंती बाई ने करीब 80 महिलाओं को कंपनी से जोड़ा था। उसके बाद उन महिलाओं ने अपनी परिचित महिलाओं को कंपनी से जोड़ा, इस तरह चेन बनती चली गई। ठगी के बाद भगवंती पर भी निवेशकों के पैसा लौटाने का भारी दबाव था। इस कारण उसने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। कहीं घरों पर ताले, तो कर्ज में डूबी महिलाएं तलाश रहीं उबरने की राह जांजगीर के दारंग में लीडर के पति ने दे दी जान – जांजगीर के दारंग गांव में रहने वाली नीरा साहू दारंग लीडर है। ठगी का शिकार होने के बाद लोग उसके यहां पैसे मांगने पहुंचे। इस कारण नीरा और उसके पति संतोष में काफी विवाद हुआ। गांव के लोग लगातार पैसे मांग रहे थे। इस तनाव के कारण नीरा के पति संतोष ने अपनी जान दे दी। असर: प्रभावित गांव के अन्य लोगों को लोन नहीं मिल रहा
नारागांव, खरथुली की महिलाओं ने बताया कि ठगी के मामले में गांव का नाम आने के बाद अब गांव के दूसरे लोगों को अपने कारोबार के लिए भी लोन नहीं मिल पा रहा है। इन गावों को डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया है। गांव वाले लोन न दिए जाने की शिकायत जिला कलेक्टर से भी कर चुके हैं। अब राहत का इंतजार है। लाचार: अनजाना नंबर नहीं उठाते, अपरिचित से छिपते हैं
जीका गांव की महिलाओं ने बताया कि माइक्रोफाइनेंस कंपनी और बैंक वालों की दहशत इतनी है कि यदि उनके पास जरूरी फोन भी आए तो अनजान नंबर होने के कारण वे उसे रिसीव नहीं करते। इसी तरह यदि गांव में कोई अपरिचित आए और किसी का पता पूछने के लिए भी रुके तो महिलाएं डर से घर से बाहर ही नहीं निकलती हैं। इनके कर्जदार: 45 बैंकों-माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने दिया लोन
एक-एक महिला को 10-13 से अलग-अलग माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं ने लोन दिया है। इनमें जना, ग्राम शक्ति, सत्या बैंक, द्वारा बैंक, अन्नपूर्णा, ईस्ट वंदना, अविरल, बीएसएस, उत्कर्ष, सक्षम, अरोहन, स्पंदना, फेडरल, डीसीबी, चैतन्य, नाबार्ड, विक्टर, एचडीएफसी, कंगाल बैंक समेत कुल 45 संस्थाएं हैं। इनमे 10 बैंक व अन्य माइक्रोफाइनेंस कंपनी हैं। बालोद में ठगी की 4 एफआईआर दर्ज हैं। एफआईआर से पूर्व बैंक के एजेंट के दबाव की सूचनाएं थीं, पर ठगों के खिलाफ केस और गिरफ्तारी के बाद ऐसी सूचना नहीं हैं। आरोपियों की संपत्ति की पहचान की गई है। -देवांश सिंह राठौर, जांच अधिकारी, बालोद