राजधानी लखनऊ में करोड़ों का विकास कार्य सिर्फ एक साइन की वजह से रुका है। करीब एक माह पहले सदन से पास बजट जारी नहीं किया गया। लखनऊ नगर निगम में हंगामा हुआ पर मेयर और नगर आयुक्त ने दस्तखत नहीं किया ।

स्मार्ट सिटी की सूची शुमार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक साइन के बिना महीनेभर से करोड़ों का विकास कार्य रुका हुआ है। पार्षदों का आरोप है कि  करीब एक माह पहले सदन से पास बजट जारी नहीं किया जा रहा है। मेयर संयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त दस्तखत नहीं कर रहे हैं। वहीं मेयर इस पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। वहीं चर्चा है कि बजट में प्रावधान न होने के बावजूद 25 करोड़ रुपए पहले भुगतान हो जाना इसका कारण है।

दरअसल, सोमवार को लखनऊ नगर निगम में मेयर संयुक्ता भाटिया के साथ सभी दलों के पार्षदों और नगर आयुक्त, अपर नगर आयुक्तों की बैठक थी। इस दौरान पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। पार्षदों ने मेयर, नगर आयुक्त और अपर नगर आयुक्त का घेराव किया। आक्रोशित पार्षदों ने मेयर को कमरे से ही नहीं निकलने नहीं दिया।

मेयर और नगर आयुक्त भी जिद पर अड़े रहे 

पार्षदों की मांग थी कि जब सदन से बजट पास हो चुका है तो इसे जारी क्यों नहीं किया जा रहा है। सपा, कांग्रेस पार्षदों के साथ भाजपा के पार्षद भी खड़े हो गए। सभी ने मेयर को करीब एक घंटे बाहर नहीं निकलने दिया। मेयर और नगर आयुक्त भी जिद पर अड़े रहे और बजट पर साइन के लिए राजी नहीं हुए।

पार्षदों की मेयर और नगर आयुक्त से तीखी झड़प 

पार्षदों ने चुनाव नजदीक आते देखकर काम के लिए बजट की मांग रखी। मगर नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह मेयर के ईको ग्रीन को भुगतान प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए जाने के चलते इसे जारी नहीं कर रहे हैं। महापौर हस्ताक्षर से साफ मना कर उठकर जाने लगी तो पार्षदों ने उन्हें रोक लिया। इस दौरान काफी देर तक पार्षदों की मेयर और नगर आयुक्त से तीखी झड़प भी हुई।

बजट नहीं मिलने से रुके ये विकास कार्य

बजट मंजूर नहीं होने से विकास कार्यों की फाइलें नहीं मंजूर हो पा रही हैं।

हर वार्ड में पार्षद निधि से 1.25 करोड़ के काम होने हैं, लेकिन यह रुके हैं।

शहर में 150 करोड़ से सड़कें बननी हैं, एक भी फाइल पर बजट सील नहीं।

केवल वेतन और डीजल खर्च छोड़कर बाकी सभी काम रुके हैं।

ईको ग्रीन को बिना मंजूरी अतिरिक्त भुगतान से फंसा पेंच

ईको ग्रीन कम्पनी न तो घरों से कूड़ा उठा रही है, न निस्तारण कर रही है। शिवरी प्लाण्ट पर करोड़ों टन कचरे का ढेर है। काम न करने के बावजूद अधिकारी इसे भुगतान करते रहते हैं। 2021-22 में 30 करोड़ रुपए बजट ईको ग्रीन के लिए था, लेकिन अफसरों ने उसे 55 करोड़ भुगतान कर दिया। करीब 25 करोड़ रुपए अतिरिक्त भुगतान के लिए तब सदन, कार्यकारिणी से मंजूरी नहीं ली गई। अफसरों ने अतिरिक्त 25 करोड़ अगले वित्तीय वर्ष शामिल करने की प्रत्याशा में भुगतान कर दिया। सदन की मंजूरी से पहले ही रकम दे दी गयी।

50 प्रतिशत से अधिक भुगतान पर सदन की अनुमति जरूरी

पिछले वित्तीय वर्ष में बजट में प्रावधान न होने के बावजूद तत्कालीन नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने ईको ग्रीन को करीब 25 करोड़ का अधिक भुगतान कर दिया था। पार्षदों और कुछ अफसरों का कहना है कि बजट से 50 प्रतिशत से अधिक भुगतान होने पर कार्यकारिणी से अनुमति लेनी होती है। लेकिन बिना अनुमति के ईको ग्रीन को भुगतान कर दिया गया।

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