रविवार, 22 अगस्त को सावन माह की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। इस तिथि पर अपने इष्टदेव को भी रक्षासूत्र चढ़ाना चाहिए। साथ ही, पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने की भी परंपरा है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए रक्षाबंधन पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

स्कंद पुराण में है सत्यनारायण भगवान की कथा

भगवान सत्यनारायण विष्णुजी का ही एक स्वरूप है। स्कंद पुराण के रेवाखंड में सत्यनारायण की कथा है। ये कथा पांच अध्यायों में है और इसके दो विषय हैं। एक है संकल्प को भूलना और दूसरा है प्रसाद का अपमान। कथा के अलग-अलग अध्यायों में छोटे-छोटे प्रसंगों की मदद से समझाया गया है कि सत्य का पालन न करने पर किस तरह की परेशानियां जीवन में आ सकती हैं और जो लोग भगवान के प्रसाद का अपमान करते हैं, उन्हें किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कथा में पूजा के लिए जरूरी सामग्री

पूजा में केले के पत्ते और फल के साथ पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा रखें। दूध, शहद, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार करें। प्रसाद में आटे को भूनकर सत्तू बनाया जाता है या हलवे का भोग लगाया जाता है।

पूर्णिमा पर ये शुभ काम भी करें

पूर्णिमा पर शिवलिंग पर चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र और धतूरा चढ़ाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। बाल गोपाल को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। सूर्यास्त के बाद हनुमानजी के मंदिर में दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।

 

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