रायपुर में फेंसिंग एसोसिएशन के चुनाव शुक्रवार को हुए। कई नए पदाधिकारियों ने अपना जिम्मा संभाला है। इस मौके पर खास तौर पर फेंसिंग यानी तलवारबाजी में ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने भवानी देवी रायपुर पहुंचीं। भवानी ने ही टोक्यो ओलिंपिक में पहले राउंड में जीत के साथ आगाज किया था। हालांकि अगले मुकाबले में मिली हार की वजह से वे अंतिम 16 खिलाड़ियों में जगह नहीं बना पाई थी।

बांस की स्टिक से ओलिंपिक तक का सफर
भवानी ने बताया, 11 साल की उम्र से तलवारबाजी सीखने की शुरुआत की। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। प्रैक्टिस करने के लिए इक्विपमेंट तक नहीं थे। तलवार के बजाय बांस से ही प्रैक्टिस की। जब कॉम्पिटिशन में जाते थे तभी तलवार और अन्य इक्विपमेंट यूज कर पाती थी। घरवालों ने हर कदम पर साथ दिया। मेरे लिए तलवार और अन्य इक्विपमेंट खरीदने मां ने अपने गहने तक बेच दिए। पहले फेंसिंग को कोई नहीं जानता था। हमें स्पॉन्सर तक नहीं मिलते थे।
भवानी ने कहा कि टोक्यो ओलिंपिक में मैं फर्स्ट हाफ में अच्छा नहीं कर पाई। सेकेंड हाफ में अच्छा करने की पूरी कोशिश की। अच्छा किया भी, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई। इस हार से बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे टेक्निकली मजबूत होने की जरूरत है। इसी कमी की वजह से मैं पिछड़ गई। बड़ा टूर्नामेंट होने के कारण थोड़ा स्ट्रेस में भी थी। अक्टूबर में फ्रांस में वर्ल्ड कप है। अब उसकी तैयारी कर रही हूं। इसके बाद एशियन चैम्पियनशिप की तैयारी करूंगी। हार से सबक लेकर अगले ओलिंपिक में देश के लिए मेडल जरूर जीतूंगी।

 

 

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