जब RO/ARO का क्वेश्चन पेपर प्रिंटिंग प्रेस में आया, तो सुनील ने अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी. उन्होंने पेपर हाथ में देने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की. हालांकि, सुनील ने शर्त भी रखी कि उम्मीदवारों को उनके सामने पेपर पढ़ना होगा, ताकि यह वायरल न हो जाए. राजीव मिश्रा, सुनील रघुवंशी और एक अन्य साथी सुभाष प्रकाश ने शर्तों पर सहमति जताई.
इंजीनियरों ने कैसे लीक किया पेपर?
स्पेशल टास्क फोर्स की वाराणसी यूनिट के सदस्य और जांच अधिकारी अमित श्रीवास्तव ने कहा, “वे सभी इंजीनियर थे. वे स्मार्ट थे और टेक्नोलॉजी में अच्छे थे. उन्होंने सावधानीपूर्वक पेपर लीक की योजना बनाई.”
12 लाख रुपये में दिखाया गया थी लीक हुआ पेपर
प्रिंटिंग के दौरान कोई क्वेश्चन पेपर डैमेज हो जाए, तो उसे अलग कर दिया जाता है. बाद में उन्हें श्रेडर के इस्तेमाल से नष्ट कर दिया जाता है. सुनील रघुवंशी को इसी मौके की तलाश थी. 3 फरवरी को सुनील मशीन रिपेयरिंग के लिए प्रिंटिंग प्रेस पर मौजूद था. प्रेस में क्वेश्चन पेपर देखकर वह मशीन को ठीक करने का बहाना करते हुए मशीन का एक हिस्सा अपने साथ लेकर गया. वह कागजात घर ले आया और अपने साथियों को इसकी खबर दी. ग्रुप ने फैसला लिया कि एग्जाम से तीन दिन पहले 8 फरवरी को कैंडिडेट्स को एक होटल के रूम में बुलाया जाएगा और हर एक को 12 लाख रुपये में पेपर दिखाया जाएगा.
जांच में यह भी सामने आया कि ज्यादा पैसों की लालच में राजीव नयन मिश्रा ने यूपी पुलिस कांस्टेबल पेपर लीक के मास्टरमाइंड रवि अत्री के साथ क्वेश्चन पेपर की तस्वीरें शेयर की थी. इस ऑपरेशन का सरगना राजीव मिश्रा पहले भी अन्य अपराधों में शामिल रहा है. पुलिस के मुताबिक, उसकी गर्लफ्रेंड शिवानी भी ऑपरेशन का हिस्सा थी और पैसे के लेन-देन का काम देखती थी. रवि अत्री और राजीव मिश्रा दोनों मेरठ जेल में हैं.
बता दें कि यूपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा में 60000 नौकरी रिक्तियों के लिए 47 लाख से अधिक उम्मीदवार एग्जाम में शामिल हुए थे. पेपर लीक के बाद ये एग्जाम भी कैंसिल हो गया है.