आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मत्स्यासन के फायदे. जी हां, मत्स्यासन एक ऐसा आसन हैं, जो पूरे शरीर के लिए लाभकारी है

क्या है मत्स्यासन (what is matsyasana)
मत्यासन दो शब्दों से मिलकर बना है. मत्स्य का अर्थ है मछली और आसन का योग. इस आसन में शरीर का आकार मछली जैसा बनता है, लिहाजा यह मत्स्यासन कहलाता है. यह आसन छाती को स्वस्थ बनाए रखने में सक्षम है.

किस समय करें मत्यासन (right time to do matsyasana)
ये बहुत जरूरी है कि मत्स्यासन को करने से पहले आपका पेट एकदम खाली हो. बेहतर होगा कि आप शौच के बाद ही मत्स्यासन का अभ्यास करें. अगर आप शाम को ये आसन कर रहे हैं तो आसन से कम से कम 4-6 घंटे पहले भोजन कर लें.

मत्स्यासन के फायदे (Amazing benefits of Matsyasana)

ये सांस लेने के सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है.
सांस की समस्याओं को दूर करने के लिए ये बेस्ट है.
इसे अभ्यास से पिट्यूटरी, पैराथायरॉयड और पीनल ग्लैंड्स भी टोन हो जाती हैं.
कन्धों की नसें उल्टी मुड़ती हैं इससे छाती व फेफड़ों का विकास होता है.
पेट साफ रहता है और आंतों का मैल दूर होता है. ब्लड फ्लो की गति बढ़ती है.
इसके नियमित अभ्यास से पेट की चर्बी घटती है.
यह आसन चेहरे और त्वचा को आकर्षक तथा शरीर को कांतिमान बना देता है.
मधुमेह, घुटनों-कमर के दर्द के लिए लाभदायक है.
यह आसन कब्ज को दूर करके भूख बढ़ाता है.
इस आसन के अभ्यास से शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ जाता है

मत्स्यासन करने का सही तरीका (right way to do Matsyasana)

पहला चरण- आराम से पदमासन में बैठ जाएं.
दूसरा चरण: हाथों की मदद से पीछे की तरफ लेट जाएं और कोहनियों को आराम से रखें.
तीसरा चरण: गर्दन को पीछे की तरफ आराम से मोड़ें, जितना आप मोड़ सकें. आपकी कमर और छाती को ऊपर की तरफ हाथों की मदद से उठायें, जबकि कोहनियां जमीन को छूती हुई होनी चाहियें.
चौथा चरण: अपने दोनों हाथों से पैर के अंगूठों को पकड़ें और अपनी कोहनियां जमीन पे रखें. कुछ देर तक इस स्थिति में ही रहें और धीरे-2 आराम से गहरी सांसें लेते और छोड़ते रहें.
पांचवा चरण: अब अपने हाथों की मदद से कमर और छाती को नीचे कर लें और सर तथा कन्धों को जमीन पे रख दें. अपने पैरों को भी सीधा कर के शवासन की स्थिति में कुछ देर के लिए सीधे लेट जाएं.

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