हेल्थ एक्सपर्ट्स ने संभावित तीसरी लहर के लिए एडवांस तैयारियां की हैं। आशंका है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा चपेट में ले सकती है। ऐसे में रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज में 24 घंटे सातों दिन चलने वाले बच्चों के अस्पताल की व्यवस्था की गई है। हालांकि अस्पताल के डॉक्टर निलय मझोरकर ये दुआ करते हैं कि ऐसी नौबत न आए कि बच्चों को यहां लाना पड़े। उन्होंने कहा कि कोई भी नहीं चाहता कि बच्चे बीमार पड़े, मैं भी नहीं, लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधा देना हमारा फर्ज है।
- जिले की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मीरा बघेल की टीम ने इस अस्पताल को तैयार करने में काफी मेहनत की है। इस वक्त हम यहां आम बीमारियों का उपचार शुरू कर चुके हैं। दो सप्ताह पहले ही शुरू हुए इस अस्पताल में अब तक 100 से अधिक बच्चों को मेडिकल फैसेलिटी मिली है। अगर कोविड की तीसरी लहर में जरूरत पड़ी तो इसे कोविड अस्पताल के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
किसी प्राइवेट अस्पताल में जिस क्वालिटी के बेड, इन्फ्रास्ट्रक्चर होता है, इस अस्पताल का सेटअप कुछ वैसा ही है। इस वक्त यहां 40 बेड हैं। 20 अधिक वेंटिलेटर का बंदोबस्त किया जा रहा है। सभी बेड्स पर ऑक्सीजन की व्यवस्था है। बच्चों के लिए इन्फ्यूजन पंप का बंदोबस्त किया गया है। अस्पताल में एक लैब भी बनाई गई है। छोटे बच्चों के लिए न्यू बॉर्न बेबी केयर सेंटर बन रहा है। बच्चों के लिए ICU भी तैयार किया जा रहा है।
डॉ. निलय ने बताया कि अस्पताल में ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि कोविड की स्थिति में पैरेंट्स उनके साथ रहें। छोटे बच्चों को यदि कोविड अपनी चपेट में लेता है तो गाइड लाइन के मुताबिक पैरेंट्स को अस्पताल या होम आइसोलेशन के वक्त बच्चे के साथ रहने दिया जाएगा। आयुर्वेदिक अस्पताल में भी इंतजाम किया जा रहा है कि बच्चों के साथ अटेंडर के रूप में उनकी मां या परिवार के एक सदस्य को रहने की सुविधा मिलेगी।प्रदेश के सभी 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में 100-100 बिस्तरों वाले आईसीयू का सेटअप बनाया जा रहा है। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चों के लिए 20 वेंटिलेटर आरक्षित रखे गए हैं। रायपुर के डॉ. अंबेडकर अस्पताल में तीसरी लहर के लिए गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिहाज से स्पेशल आईसीयू वार्ड बनाए जा रहे हैं।