वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि कुछ राज्यों को वित्त आयोग द्वारा निर्धारित प्रतिशत को लेकर शिकायत हो सकती है, लेकिन मैं स्पष्ट रूप से कह सकता हूं कि वित्त मंत्रालय भेदभाव नहीं करता है.
नई दिल्ली:
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा है कि टैक्स का हस्तांतरण हो या केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित कल्याणकारी योजनाओं के लिए राज्यों को वित्तीय आवंटन, ये समान दिशा-निर्देशों पर आधारित हैं. इसमें भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है. मंगलवार को वित्त सचिव ने एनडीटीवी से खास बातचीत की. सोमनाथन का ये बयान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी द्वारा गैर-भाजपा राज्यों को वित्तीय बकाया नहीं देने के आरोपों पर हुई बहस के एक दिन बाद आया है.
सोमनाथन ने वित्त मंत्री द्वारा कही गई बात को रेखांकित करते हुए कहा, “वित्त मंत्रालय राज्यों के फंड को लेकर वित्त आयोग द्वारा निर्धारित फॉर्मूलों का पालन करता है. हमने किसी भी राज्य सरकार के लिए पक्ष या विपक्ष देखकर कोई भेदभाव नहीं किया है. मैं राजनीतिक पहलुओं में नहीं जाऊंगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि जान-बूझकर कोई भेदभाव किया गया है.”
उन्होंने कहा कि टैक्स राजस्व का बंटवारा, जीएसटी का वितरण सालों से एक विवादास्पद मुद्दा रहा है, बंगाल और पंजाब जैसे राज्य अक्सर बकाया राशि का दावा करते हैं. लेकिन ये वित्त आयोग द्वारा निर्धारित प्रतिशत और नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक द्वारा ऑडिट पर आधारित है.
सोमनाथन ने कहा कि केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लिए फंड डिस्ट्रीब्यूशन भी निश्चित प्रतिशत पर आधारित है. ‘मेनस्ट्रीम’ राज्यों के मामले में ये 60-40 और उत्तर-पूर्वी या पहाड़ी राज्यों के लिए 90-10 है.
उन्होंने कहा, “हम प्रतिशत के अनुसार फंड जारी करते हैं. इसलिए जब पिछली किस्त खर्च हो जाएगी, पैसा जारी कर दिया जाएगा. इसलिए मैं स्पष्ट रूप से कह सकता हूं कि वित्त मंत्रालय भेदभाव नहीं करता है. कुछ राज्यों को वित्त आयोग द्वारा निर्धारित प्रतिशत को लेकर शिकायत हो सकती है, लेकिन मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता. हमने वित्त आयोग की सिफारिशों को नजरअंदाज नहीं किया हैं.”
सोमनाथन ने सरकार के राजकोषीय घाटे से निपटने सहित कई अन्य विषयों पर भी बात की, जिसे वित्तीय वर्ष 2024 के लिए संशोधित कर 5.8 प्रतिशत कर दिया गया है.
वित्त सचिव ने सरकार द्वारा खाद्य सब्सिडी जारी रखने के बारे में भी बात की, उन्होंने इस पर जोर दिया, कि ये राजकोषीय रूप से टिकाऊ प्रस्ताव बना हुआ है, भले ही इससे राजकोष पर 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी.