पिछली सरकार ने सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों को राहत देते हुए दफ्तरों में 5 डेज वीक का कांसेप्ट लागू किया। यानी सोमवार से शुक्रवार तक ही ऑफिस खुला रखने का निर्णय लिया। संडे के साथ सटरडे की छुट्टी की घोषणा करते हुए ये शर्त रखी कि सभी अधिकारी कर्मचारी सुबह 10 बजे दफ्तर पहुंचकर कामकाज शुरू कर दें। आॅफिस परिसर में सुबह 9.50 बजे राष्ट्रगान अनिवार्य किया ताकि उसके बाद सभी सीधे सभी अपनी कुर्सियां संभाल लें। भास्कर ने पड़ताल की। कलेक्टोरेट और तहसील ऑफिस में ही अधिकारी-कर्मचारी कभी 11 बजे तक पहुंच रहे हैं। यानी काम के दिन के साथ घंटे भी कम हो गए हैं। फाइव-डेज वीक का सिस्टम लागू करने के साथ दफ्तर से जाने का टाइमिंग भी 5 से बढ़ाकर 5.30 बजे किया गया था। इस नियम का पालन भी नहीं किया जा रहा है। सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी समय पर आ रहे हैं या नहीं इसकी जांच का कोई सिस्टम ही नहीं है। काम पर ऐसे हो रहा असर : रायपुर तहसील में ही 8 हजार से ज्यादा जमीन के नामांतरण, डायवर्सन, सीमांकन और बटांकन के मामले लंबित हैं। कलेक्टोरेट के खाद्य विभाग में राशन कार्ड, अपर कलेक्टर के पास जमीन सुनवाई का काम, संजीवनी कोष से मदद, खनिज विभाग में पिट पास समेत कई तरह के काम प्रभावित हो रहे हैं। कुछ जगहों पर लगाई भी गई तो वहां कर्मचारियों ने पंचिंग ही नहीं की। बाद में मशीन भी कबाड़ में बदल गई। मॉनिटरिंग का कोई सिस्टम नहीं होने की वजह से कर्मचारी बेखौफ हैं। देर से आने पर आज तक कभी किसी अधिकारी-कर्मचारी पर कोई सख्त कार्रवाई भी नहीं की गई है। केवल नोटिस देकर ही काम चला लिया गया। भास्कर लाइव: कलेक्टोरेट और तहसील में ही सबसे ज्यादा लेटलतीफी 1. कलेक्टोरेट में सुबह 10.35 बजे तक कोई भी अफसर नहीं पहुंचा। 2. तहसील में तहसीलदार समेत कोई भी अफसर सुबह 10.40 बजे तक नहीं पहुंचे। 3. खाद्य विभाग में सन्नाटा। सुबह 10.30 बजे तक कोई नहीं पहुंचा। भास्कर टीम 16 से 20 दिसंबर तक सुबह 9.50 बजे कलेक्टोरेट और तहसील दफ्तर पहुंची। इस दौरान 18 दिसंबर को गुरु घासीदास जयंती की छुट्टी भी थी। कलेक्टोरेट में 10.20 तक तो केवल सफाई कर्मचारी ही अफसरों के कमरों में कहीं झाड़ू तो कहीं पोंछा लगाते दिखे। किसी भी दिन एडीएम से लेकर डिप्टी कलेक्टर तक कोई भी सुबह 10 बजे अपनी सीट पर नहीं मिले। 10.30 बजे के बाद ही बाबूओं की एंट्री शुरू होती दिखी। इसी कैंपस में स्थित खनिज और आबकारी विभाग में भी सन्नाटा छाया रहा। इन दफ्तरों में 10.35 के बाद ही कर्मचारी पहुंचने शुरू हुए। कलेक्टोरेट के पहले फ्लोर में स्थित भू-अभिलेख शाखा में सुबह 11 बजे के बाद ही ताला खुला। सुबह 10 बजे नहीं मिले ये अफसर
कलेक्टोरेट में एडीएम देवेंद्र पटेल, एडिशनल कलेक्टर निधि साहू, एडिशनल कलेक्टर कीर्तिमान राठौर, ज्वाइंट कलेक्टर मनोज कुमार केसरिया, अपर कलेक्टर अभिलाषा पैकरा, डिप्टी कलेक्टर उत्तम प्रसाद रजक, जिला खाद्य नियंत्रक भूपेंद्र मिश्रा, उप संचालक खनिज किशोर गोलघाटे, आबकारी उपायुक्त आर मिश्रा, अधीक्षक आरके ध्रुव समय पर नहीं पहुंचे। तहसील में एसडीएम नंद कुमार चौबे, तहसीलदार पवन कोसमा, नायाब तहसीलदार तुलसी राठौर, प्रकाश सोनी, प्रवीण परमार, राकेश देवांगन, ख्याति नेताम और ज्योति सिंह कोई भी सुबह 10 बजे अपनी सीट पर नहीं मिले है। सीधी बात – डॉ. गौरव कुमार सिंह, कलेक्टर मॉनिटरिंग हो रही सख्ती भी करेंगे किसी भी सरकारी दफ्तर में अधिकारी-कर्मचारी सुबह 10 बजे नहीं पहुंच रहे?
-जो नियम है उसका पालन सभी को करना होगा। समय पर आना ही होगा।
सवाल: बायोमीट्रिक मशीन नहीं लगी है। रजिस्टर में हस्ताक्षर अपनी मर्जी से हो रहे हैं?
जवाब: विभाग प्रमुखों से कहा गया है मशीन के लिए, जहां नहीं लगा वहां लगाएंगे।
सवाल: आकस्मिक जांच नहीं की जाती, विभाग प्रमुखों का रवैया भी बेहद ढीला है?
जवाब: समय सीमा की बैठक में हर हफ्ते इसकी जानकारी जरूर ली जाएगी।
सवाल: देर से आने पर किसी कर्मचारी को आज तक बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है?
जवाब: ऐसा नहीं है, नोटिस देते हैं। जवाब के बाद जरूरत पड़े तो कार्रवाई भी होती है।
