भास्कर न्यूज | मनेंद्रगढ़ वनोपज आधारित आजीविका संवर्धन के लिए वनमंडल मनेंद्रगढ़ के सभाकक्ष में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य वन-निर्भर संग्राहक परिवारों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना था। कार्यशाला में वन विभाग, कृषि विभाग और ग्राम उद्योग विभाग के प्रमुख अधिकारियों सहित सामुदायिक नेताओं ने भाग लिया। कार्यशाला में एसडीओ एसके खुटिया, रवि गुप्ता, माणिकपुरी डीपीएम, मुराद अली एसपीएम, अमेरिका सिंह और सुमित्रा केंवट जिला रिसोर्स पर्सन, वनधन मित्र और स्वयं सहायता समूह एसएचजी की महिला नेता सहित 80 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के समुदायों की आजीविका में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया। एफईएस का प्रतिनिधित्व कर रहे मुराद अली ने लघु वनोपज (एमएफपी) की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने हर्रा, बेहड़ा, महुआ, साल बीज, इमली और बांस जैसे एमएफपी के सतत प्रबंधन और मूल्य संवर्धन की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे संग्राहक परिवारों की आय में वृद्धि हो सकती है। एसडीओ एसके खुटिया ने कहा कि वन में अपार आर्थिक अवसर हैं। वैज्ञानिक तरीके से संग्रहण, प्रसंस्करण और बाजार से जुड़ाव पर ध्यान देकर हम संग्राहक परिवारों का जीवन बदल सकते हैं। विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने अपनी भूमिकाएं और योजनाएं साझा कीं। चर्चाओं का मुख्य फोकस न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के प्रति जागरूकता बढ़ाने, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को मजबूत करने और महिला नेतृत्व को वन आधारित उद्यमों का नेतृत्व करने सशक्त बनाने पर था। स्थानीय प्रसंस्करण इकाईयों की आवश्यकता पर जोर देते हुए यह भी चर्चा की गई कि संसाधनों की कमी को रोकने सतत प्रथाओं को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। कार्यशाला का समापन सभी हितधारकों से सामूहिक रूप से कार्य करने की अपील के साथ हुआ। यह निर्णय लिया गया कि रणनीतिक योजना और सरकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से वनों पर आर्थिक निर्भरता को संग्राहक परिवारों के लिए एक सतत और लाभदायक आजीविका में बदला जा सकता है।

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