Sonia Gandhi Article : सोनिया गांधी ने एक लेख के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया है। सरकार ऐसा माहौल बनाना चाहती है कि लोगों को लगे कि यह विभाजन उनके भले के लिए है। इसके लिए पहनावा, खानपान, भाषा, त्योहारों को लेकर दरार पैदा की जा रही है।

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखकर केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। इंडियन एक्सप्रेस में लिखे लेख में सोनिया ने ‘नफरत के वायरस’ की बात कही है। वह लिखती हैं कि यह नफरत और विभाजन का वायरस है जो अविश्वास को बढ़ाता है, बहस को दबाता है और एक देश और लोगों के रूप में हमें नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने लिखा कि हमारे बीच यही वायरस फैलाया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे लोगों को कड़ी हिदायत क्यों नहीं देते कि ऐसी बातें न की जाएं जिससे समाज में विभाजन हो? सोनिया गांधी का यह लेख ऐसे समय में आया है जब देश में कई जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा भड़की और माहौल खराब हुआ। कर्नाटक का हिजाब विवाद के बाद राजस्थान के करौली में संप्रदायिक हिंसा, राजस्थान के ही अलवर, मध्य प्रदेश के खरगोन, झारखंड के लोहरदगा और पश्चिम बंगाल के बांकुरा समेत रामनवमी पर पथराव-हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं। बहरहाल, यहां पेश है सोनिया गांधी के लेख के प्रमुख अंश…

प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना
सत्तारूढ़ पार्टी साफ तौर पर चाहती है कि भारत के लोग ऐसा मान लें कि स्थायी तौर पर ध्रुवीकरण की स्थिति उनके हित में है। वह चाहे पहनावा हो, खानपान, धार्मिक आस्था, त्योहार या भाषा, भारतीयों को भारतीयों के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश हो रही है और असमाजिक तत्वों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। पूर्वाग्रह, दुश्मनी और प्रतिशोध को बढ़ावा देने के लिए प्राचीन और समकालीन, दोनों इतिहास की लगातार व्याख्या करने की कोशिश की जा रही है। यह विडंबना है कि देश के लिए उज्ज्वल, बेहतर भविष्य बनाने और रचनात्मक कार्यों में युवा प्रतिभा का इस्तेमाल करने के लिए संसाधनों का उपयोग करने की बजाय काल्पनिक अतीत के संदर्भ में वर्तमान को नया रूप देने के लिए समय और संपत्ति का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत की विविधता को लेकर प्रधानमंत्री बहुत चर्चा करते हैं लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि इस सत्तारूढ़ व्यवस्था में, जिन विविधताओं ने सदियों से हमारे समाज को परिभाषित और समृद्ध किया है, उसमें बदलाव कर हमें बांटने की कोशिशें हो रही हैं।

कट्टरता, नफरत और विभाजन
हर कोई स्वीकार करता है कि समृद्धि के लिए हमें उच्च आर्थिक विकास को बनाए रखना होगा, जिससे धनराशि का इस्तेमाल लोगों के जीवन स्तर को बढ़ाने और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए जरूरी रेवेन्यू उपलब्ध हो सके और हमारे युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर मिल सकें। लेकिन सामाजिक उदारवाद का माहौल बिगड़ रहा है और कट्टरता, नफरत और विभाजन का प्रसार आर्थिक विकास की नींव को हिला देता है। यह आश्चर्यजनक बात नहीं है कि कुछ बोल्ड कॉरपोरेट एक्जीक्यूटिव कर्नाटक में जो हो रहा है, उसके खिलाफ बोल रहे हैं। इन मुखर आवाजों के खिलाफ सोशल मीडिया में भी प्रतिक्रिया मिली, जिसका पहले से अंदेशा था। लेकिन व्यापक रूप से उन चिंताओं को साझा किया गया और वह बहुत वास्तविक है। यह अब किसी से छिपा नहीं है कि पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में हमारे कारोबारी खुद को अनिवासी भारतीय (NRI) घोषित कर रहे हैं।

नफरत का बढ़ता शोर, आक्रामकता के लिए खुलेआम भड़काना और यहां तक कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराध हमारे समाज की मिलीजुली, उदार परंपराओं से कोसों दूर हैं। मिलकर त्योहार मनाना, विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच अच्छे पड़ोसी की तरह संबंध, कला, सिनेमा और रोजमर्रा की जिंदगी में आस्था और विश्वास का व्यापक मेलजोल, इसके हजारों उदाहरण हैं जो सदियों से हमारे समाज की गौरवपूर्ण और स्थायी विशेषताएं हैं। संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए भारतीय समाज और राष्ट्रीयता की मजबूत नींव को कमजोर किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *