आगरा में डीएपी के लिए सहकारी समितियों पर किसानों की लंबी-लंबी लाइनें लगी है। और हालात ऐसे हो गए हैं कि डीएपी के पैकेट के लिए किसानों में संघर्ष की स्थिति आ गई है, जिसके चलते पुलिस बल की तैनात किया गया

आगरा में डीएपी के लिए सहकारी समितियों पर किसानों की लंबी-लंबी लाइनें लगी है। और हालात ऐसे हो गए हैं कि डीएपी के पैकेट के लिए किसानों में संघर्ष की स्थिति आ गई है, जिसके चलते पुलिस बल की तैनाती की जा रही है। ताकि किसी तरह की कोई अप्रिय घटना ना घटे, किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी न मिलने से अफरा-तफरी का माहौल हो गया है। आधार कार्ड और खतौनी देखकर किसानों को डीएपी वितरित की जा रही है…

इससे पहले डीएपी को लेकर आगरा के किसानों में हाहाकार मचा था। किसान आलू, गेहूं की बुआई के लिए भटक रहे थे। लेकिन, अक्तूबर और नवंबर में मिलने वाली 37 हजार मीट्रिक टन डीएपी के बजाय किसानों को महज 13 हजार मीट्रिक टन डीएपी की मिली थी। इससे समस्या और विकराल हो गई थी। किसानों ने कालाबजारी से डीएपी खरीदकर आलू की बुआई तो कर ली। लेकिन, गेहूं के लिए किसान प्रतीक्षा में बैठे हुए थे। ऐसे में किसान लगातार सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे थे। गुरुवार को आगरा में इफको की रैक लग गई है। आगरा के किसानों को 3,750 मीट्रिक टन डीएपी मिल गई । जिसका वितरण अगले 7 दिनों तक होगा।

उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में खाद के लिए किसान दर-दर भटक रहे हैं, खाद न मिलने की वजह से एक तरफ जहां फसलों की बुआई में देरी हो रही है। वहीं, उनकी पहले से उगाई गई फसलों का नुकसान हो रहा है और किसानों को अब इस बात की चिंता सता रही है कि यही हालात रहे तो जब फसल की अच्छी पैदावार नहीं होगी, हाल ही में ललितपुर में खाद के लिए लाइन में लगे एक किसान की मौत भी हो चुकी है। जिस पर काफी हंगामा हुआ था, लेकिन सच यही है कि खाद की एक बोरी के लिए प्रदेश के किसानों को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है

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