छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में 11 दिनों बाद माओवादियों ने जिला प्रशासन की मोटर बोट को लौटा दिया। 25 सितंबर को माओवादी इंद्रावती नदी के उसपरी घाट से मोटर बोट को अपने साथ ले गए थे।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में 11 दिनों बाद माओवादियों ने जिला प्रशासन की मोटर बोट को लौटा दिया। 25 सितंबर को माओवादी इंद्रावती नदी के उसपरी घाट से मोटर बोट को अपने साथ ले गए थे। शुक्रवार की शाम नक्सलियों ने इंद्रावती नदी पार के एक गांव के ग्रामीणों और पंचायत सचिव को मोटर बोट सौंप दिया। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी थाने में दी। अब जिला प्रशासन ने बोट को अपने पास रख लिया है।

बता दें कि बस्तर में इंद्रावती नदी पार के गांवों में 39 आदिवासियों की मौत की अफवाह उड़ी थी। मौतों का सच जानने जिला प्रशासन की टीम नदी पार गई थी। 25 सितंबर को विधायक, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी घाट तक गए थे। अफसर नदी पार नहीं किए थे। विधायक और अफसरों के लौटने के बाद नक्सलियों ने घाट से बोट को अपने साथ ले गए थे। कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने बताया कि 7 सितंबर को नक्सलियों ने बोट को लौटा दिया। उसे ट्रैक्टर से पुलिस थाना लाया गया। पुलिस ने बोट को नगर सेना को सौंप दिया है।

इंद्रावती नदी पार करने नाव ही एकमात्र सहारा
बताया जा रहा है कि बोट में तकनीकी खराबी के कारण नक्सलियों ने बोट ग्रामीणों के हवाले कर दिया। इसके बाद ट्रैक्टर पर लादकर मोटरबोट को भैरमगढ़ लाया गया। नक्सलियों ने 10 दिनों तक इंद्रावती नदी के झिल्ली घाट में बोट को चला रहे थे। इंद्रावती नदी पर कई जगह पर पुल का निर्माण नहीं हुआ है। जंगल के अंदर बसे ग्रामीणों को नदी पार करने का एकमात्र साधन नाव ही है। ग्रामीण लकड़ी की छोटी नाव से नदी पार करते हैं। कुछ घाटों में जिला प्रशासन ने मोटर बोट की व्यवस्था कर रखी है। जिस मोटर बोट को नक्सली अपने साथ लेकर चले गए थे, वह नगर सेना की टीम का था।

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