राजधानी के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन में रोजाना 70 हजार से ज्यादा यात्री आना-जाना कर रहे हैं। स्टेशन में कई बड़ी सुविधाएं बंद होने की वजह से इन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यात्रियों की मदद के लिए बना पुलिस सहायता केंद्र में रेलवे पुलिस का स्टाफ कभी दिखाई नहीं देता है। सामान चोरी हो जाए या हादसा होने पर लोग स्टेशन के पास स्थित थाने का पता पूछते हैं। क्योंकि पुलिस सहायता केंद्र हमेशा खाली रहता है। देर रात स्टेशन पहुंचने वाले यात्रियों की सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं रहता है। आरपीएफ का दावा है कि स्टेशन में गश्त की जाती है, लेकिन कभी कोई सिपाही या अफसर वहां दिखाई ही नहीं देता है। रायपुर रेलवे स्टेशन से हर दिन 110 ट्रेनें आना-जाना करती हैं। ट्रेनों की जानकारी देने वाला डिस्पले बोर्ड भी कई हफ्तों से बंद है। इस वजह से यात्रियों को दूसरी जगहों पर जाकर ट्रेनों की जानकारी लेनी पड़ती है। यात्रियों की सुविधा के लिए रिजर्वेशन काउंटर पर इलेक्ट्रॉनिक डिस्पले बोर्ड लगाया था। ताकि लोग टिकटों की खरीदी करते समय भी ट्रेनों की सटीक जानकारी ले सकें। इसी तरह लाखों रुपए खर्च कर स्टेशन में स्कैनर मशीन लगाई गई थी। इस मशीन से लोगों के लगेज चेक किए जाते हैं। लेकिन इस मशीन को चलाने वाला ही कोई दिखाई नहीं देता है। इस वजह से स्टेशन आने वाले यात्री भी अपना लगेज बिना चेक कराए ही स्टेशन में दाखिल हो जाते हैं। डिजिटल संग्रहालय भी नहीं चल रहा
स्टेशन आने वाले यात्रियों के लिए बनाया गया डिजिटल संग्रहालय भी बंद कर दिया गया है। ट्रेनों का इंतजार करते समय लोग रेलवे का इतिहास और विभाग से मिलने वाली सुविधाओं को जान सके इसके लिए यह संग्रहालय बनाया गया था। लेकिन अब इसे भी बंद कर दिया गया है। ट्रेनों का इंतजार करते समय लोग प्लेटफॉर्म में ही बैठे रहते हैं। अधिकतर समय यात्रियों का प्रतीक्षालय फुल रहता है। इस वजह से लोगों को प्लेटफॉर्म में ही बैठकर ट्रेनों का इंतजार करना पड़ता है। अभी ठंड में यह परेशानी और बढ़ गई है। क्योंकि लोगों को खुले में ही रहकर महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के साथ ट्रेनों का इंतजार करना पड़ रहा है। महिलाओं के लिए बनाए गए बॉक्स में भी कई बार पुरुष यात्रियों का कब्जा रहता है। इस वजह से महिलाएं भी प्लेटफॉर्म की कुर्सियों में ही बैठकर इंतजार करती हैं। लिफ्ट और एस्कलेटर बंद हो जाते हैं कभी भी
रेलवे स्टेशन में लिफ्ट और एस्कलेटर कभी भी बंद हो जाते हैं। कभी मेंटेनेंस तो कभी तकनीकी खराबी के नाम पर यह सुविधा बंद हो जाती है। इससे महिला, बच्चों और बुजुर्ग यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म जाने में उन्हें खासी परेशानी हो रही है। रेलवे अफसरों का कहना है कि दोनों सुविधाएं जरूरी हैं। इसलिए कोशिश की जाती है पूरे समय यह सुविधा जारी रहे। लेकिन कई बार तकनीकी खामियों की वजह से ही इसमें खराबी आ जाती है। जिसे तुरंत ठीक कराने की कोशिश की जाती है। स्टेशन के अंदर बुजुर्गों के लिए ई-बाइक भी चलाई जाती है। ताकि उन्हें ज्यादा पैदल न चलना पड़े। लेकिन लोगों का कहना है कि यह सुविधा भी लगातार नहीं दी जाती है। पार्किंग में भी परेशानी, गाड़ी खड़ी करने में भी​ विवाद
अभी रेलवे रायपुर स्टेशन को हाईटेक बना रहा है। इसके लिए गुढ़ियारी की ओर रेलवे कॉलोनी को तोड़ भी दिया गया है। अब पार्किंग को भी तोड़ा जाएगा। इसके लिए रेलवे ने पार्किंग को शिफ्ट कर दिया है। पार्किंग को शिफ्ट करने की वजह से यात्रियों को परेशानी भी हो रही है। इसे जहां शिफ्ट किया गया है वहां सिर्फ मिट्टी है। इस वजह से गाड़ियों को आने-जाने में परेशानी हो रही है। हल्की बारिश में भी यह कीचड़ हो जाएगा तब परेशानी और होगी। अभी पार्किंग में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम भी नहीं किए गए हैं। इससे वाहन चोरी होने का खतरा भी बढ़ गया है। प्लेटफार्म क्रमांक-7 की तरफ रोजाना 600 मोटर साइकिल और 20 से अधिक कार पार्क हो रही हैं। इस दौरान किसी न किसी बात को लेकर विवाद भी हो रहा है। समाधान – जो भी कमियां हैं तुरंत दूर कर लेंगे
सभी कामों के लिए अफसरों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय है। जो भी इस पर लापरवाही करेंगे उन पर कार्रवाई भी करेंगे। अभी पार्किंग अस्थायी है। नई पार्किंग बनने के बाद वहां शिफ्ट कर दिया जाएगा। लगेज स्कैनर मशीन में भी कड़ाई से जांच की जाएगी।
अवधेश कुमार त्रिवेदी, सीनियर डीसीएम रेलवे

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