शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम चरमराया हुआ है। इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। थोड़ी-थोड़ी दूरी के लिए ऑटो वाले 50 से 100 रुपए ले रहे हैं। अगर सिटी बस चलतीं तो 10 से 15 रुपए खर्च आता। विडंबना ये है कि पिछले दो साल में सिटी बसों की संख्या बढ़ने के बजाय घटी हैं। 24 करोड़ में खरीदी गईं 95 बसों में 49 कंडम हो चुकी हैं। कंडम बसों की कीमत करीब 14 करोड़ रुपए है। 16 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर में महज 46 सिटी बसें चल रही हैं। यह भी बसें चलाने वाले आपरेटर का दावा है। वास्तव में कितनी बसें चल रही हैं, इसकी पुख्ता जानकारी या मानिटरिंग का कोई सिस्टम जिम्मेदार अफसरों के पास नहीं है। आपरेटर एजेंसी अपनी मर्जी से कभी कम, कभी ज्यादा बसें चला रही है। बसों की अच्छी सुविधा नहीं होने से ऑटो और ई-रिक्शा बढ़े हैं। परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस समय शहर में 18 हजार से ज्यादा ऑटो और ई-रिक्शा चल रहे हैं। आमानाका से जयस्तंभ चौक यानी करीब 4 किमी के लिए ऑटो बालें 50 से 100 रुपए ले रहे हैं। जबकि सिटी बस से भाड़ा 10 से 15 रुपए है। इसी तरह स्टेशन से संतोषी नगर, पचपेड़ी नाका, कोतवाली से डुंडा, भनपुरी और खमतराई जैसे रूट हैं जहां बसों की ज्यादा जरूरत है। घटा दी सुविधा अभी शहर को 120 बसों की जरूरत
एक अच्छी सिटी बस व्यवस्था के तहत किसी भी शहर में हर रूट पर औसतन हर दस मिनट में एक बस चलनी चाहिए। जानकारों के अनुसार सुबह 8 से रात 8 बजे यानी 12 घंटे बस चलती हैं। कुल 720 घंटे में 10 मिनट के औसत से 72 फेरे होते हैं। एक बस यदि 12 घंटे में छह फेरे भी लगाती है तो एक रूट पर 12 बसों की जरूरत पड़ेगी। पूरे शहर को दस रूट में बांटा जाए तो कम से कम 120 बसों की जरूरत पड़ेगी। लेकिन अभी शहर में 40 से भी कम बसें चल रही हैं। पहले 95 बसें थीं, अभी आधी से कम
करीब 9 साल पहले राजधानी रायपुर में शहरी सार्वजनिक यातायात समिति के तहत सिटी बस सेवा शुरू की गई थी। छोटी-बड़ी और एसी-नॉन एसी मिलाकर 95 बसें थीं। कोरोना के दौरान करीब दो साल बसें खड़ी रहीं। इसके बाद दुर्ग के मनीष ट्रेवल को ठेका दिया गया। बसों की संख्या तब तक घटकर 67 हो गई थी। ट्रेवल एजेंसी को बसों की मरम्मत के लिए 1.24 करोड़ रुपए दिए गए। ट्रैवल एजेंसी ने 17 बसों को कंडम बता दिया और कहा कि ये चल नहीं सकतीं। बची 50 में से 4 बसें रायपुर-दुर्ग रूट की हैं, जो दुर्ग में बस संचालकों के विरोध के कारण चल नहीं पा रही हैं। भास्कर लाइव एम्स: सुबह 10 बजे​​​​​​​ कोरबा से एम्स के लिए आए ननकी राम रत्नाकर ने बताया कि स्टेशन से एम्स ऑटो से आया हूं। 200 रुपए भाड़ा लग गया। जाने में भी इतना ही लगेगा। ये बहुत ज्यादा है। स्टेशन: सुबह 9.30 बजे अंबिकापुर के सुनील ठाकुर ने बताया कि कुम्हारी जाना है। ऑटो वाले 300-350 रु. मांग रहे हैं। पहले सिटी बस से 30 रु. में जाता था। सरकार को सिटी बस चलानी चाहिए।​​​​​​​ केंद्र से आ रहीं 100 ई-बसें सिटी बसों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। 46 बसें चलाई जा रही हैं। शहर के लिए जल्द ही 100 ई-बसें केंद्र से मिलने वाली हैं। ई-बसों के चलने से शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम काफी अच्छा हो जाएगा। -डॉ. गौरव कुमार सिंह, कलेक्टर

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