चीन की वजह से संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी साजिद मीर एक बार फिर ग्लोबल आतंकवादी घोषित नहीं हुआ. जिसे लेकर भारत ने यूएन में ही चीन को खरी-खोटी सुना दी है. विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रकाश गुप्ता ने यूएन में इस मामला को उठाया.
चीन की वजह से संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी साजिद मीर एक बार फिर ग्लोबल आतंकवादी घोषित नहीं हुआ. जिसे लेकर भारत ने यूएन में ही चीन को खरी-खोटी सुना दी है. विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रकाश गुप्ता ने यूएन में इस मामला को उठाया. उन्होंने कहा कि चीन की इस हरकत से 26/11 के पीड़ितों को अभी भी न्याय नहीं मिला है. कुछ निजी हितों के चलते हमारे प्रयासों को रोका गया है. इससे यह साफ होता है कि हमारे पास आतंकवाद की चुनौती के खिलाफ ईमानदारी से लड़ने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है.
भारत ने यूएन पर भी सवाल उठाए
बता दें कि भारत और अमेरिका ने मिलकर साजिद मीर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत रखे गए इस प्रस्ताव में मीर को काली सूची में डालने और उसकी संपत्ति जब्त करने, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी. लेकिन चीन ने इस पर अड़ंगा लगा दिया.
साजिद मीर पर प्रस्ताव गिर जाने के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र पर भी सवाल उठाए हैं. भारत ने कहा है कि जबावदेही और पारदर्शिता के इस युग में क्या हम ऐसे जरूरी प्रस्तावों को बिना कोई कारण बताए ब्लॉक कर सकते हैं ? भारत ने पूछा है कि क्या हमें प्रस्ताव को फिर से पेश करने की अनुमति मिल सकती है.
आतंकी मीर को सुनाई जा चुकी है सजा
लश्कर के आतंकी साजिद मीर पर साल 2008 में हुए मुंबई हमलों को अंजाम देने का आरोप है. जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी. मुंबई आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए अमेरिका द्वारा उस पर 50 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा गया है. बीते साल मुंबई हुई संयुक्त राष्ट्र की एक मीटिंग में भारत ने मुंबई हमलों में मीर के शामिल होने के सबूत के तौर पर एक ऑडियो क्लिप भी चलाया था. जिसमें मीर ये कहते हुए सुना गया छाबड़ हाउस पर हमला करो. बीते साल जून में मीर को पाकिस्तान के ही एक आतंकवाद रोधी अदालत ने एक मामले में 15 साल के लिए जेल की सजा सुनाई है. दिलचस्प ये है कि कुछ समय पहले पाकिस्तान ने ये दावा किया था कि साजिद मीर मर चुका है. हालांकि कई देशों ने उसकी मौत का सबूत मांगा जो पाकिस्तान नहीं दे सका. आतंकवाद रोधी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी FATF की बैठक में भी ये मुद्दा उठा था.