छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज में गोदना प्रथा का विशेष महत्व है। यह प्रथा न केवल उनकी सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि उनके सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा भी है। इस परंपरा को सहेजने और नया आयाम देने के लिए कोंडागांव जिला प्रशासन ने एक अभिनव पहल की है। इसके तहत युवाओं को आधुनिक टैटू प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने कौशल उन्नयन कार्यक्रम के अंतर्गत प्री-मैट्रिक छात्रावास, गांधी वार्ड में 1 दिसंबर से पारंपरिक गोदना प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 10 प्रतिभागी शामिल हुए। प्रशिक्षकों ने प्रतिभागियों को बस्तर की पारंपरिक गोदना कलाकृतियों की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही उन्हें आधुनिक टैटू मशीनों के उपयोग और सुरक्षा तकनीक के बारे में भी प्रशिक्षित किया गया। प्रशासन ने गोदना कला को प्रोत्साहित करने और इसे रोजगार का साधन बनाने के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित किया।

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