तालिबान सरकार ने शनिवार को नए फरमान के साथ ही अपने इरादे साफ कर दिए कि वह सुधरने वाला नहीं है, तालिबान के सर्वोच्च नेता ने महिलाओं को सार्वजनिक रूप से बुर्का पहनने का आदेश सुनाया है।

अफगानिस्तान में सत्ता संभाले तालिबान को एक साल भी नहीं हुआ है लेकिन उसने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान में पिछली बार की तुलना में इस बार बेहतर शासन का दावा करने वाले तालिबान ने शनिवार को नए फरमान के साथ ही अपने इरादे साफ कर दिए कि वह सुधरने वाला नहीं है, तालिबान के सर्वोच्च नेता ने महिलाओं को सार्वजनिक रूप से बुर्का पहनने का आदेश सुनाया है।

पिछले साल अगस्त माह में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी को हटाते ही तालिबान एक बार फिर सत्ता की कुर्सी पर बैठ गया है। सत्ता संभालते ही तालिबान ने शुरुआत में अपनी छवि बदलने का बहाना किया। दुनिया को दिखाना चाहा कि वह पहले जैसा तालिबान नहीं है और जनता के साथ ज्यादत्ती नहीं करेगा। जिनमें लोगों को जिंदगी अपने तरीके से जीने की आजादी होगी। लेकिन धीरे-धीरे तालिबान समय के साथ-साथ अपना असली रंग दिखाने लग गया।

सत्ता संभालने के एक साल के भीतर ही तालिबान कई ऐसे आदेशों को लेकर फिर से सुर्खियों में है जो उसके पुराने रंग को दिखाता है। नौकरी करने वाले पुरुषों के लिए सिर पर टोपी, दाढ़ी और टखने से ऊपर पेंट पहनना अनिवार्य किया जा चुकी है। नए फरमान के तहत तालिबान के सुप्रीम लीडर ने आदेश दिया है कि महिलाओं के लिए सार्वजनिक तौर पर बुर्का पहनना जरूरी होगा। इससे पहले स्कूलों में पुरुषों और महिला विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग कक्षाएं पहले ही शामिल हैं। तालिबान की सोच है कि स्कूल में महिला और पुरुष छात्र एक-दूसरे को न देख सके, क्योंकि इससे पढ़ाई में व्यधान होता है।

तालिबान के आने से आतंकी हमलों में इजाफा
जब से तालिबान अफगानिस्तान की जमीन पर सत्ता में लौटा है, तब से अफगान देश में आतंकी हमले आम बात हो गई है। आए दिन बम धमाकों या आत्मघाती हमलों में बेकसूरों की जान जा रही है। इतना ही नहीं ज्यादातर हमले मस्जिदों में नमाज के दौरान होते हैं। जिनमें नापाक मंसूबों वाले लोग मासूमों और महिलाओं को भी निशाना बनाते हैं।

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