कांग्रेस के एक डेलीगेशन ने सोमवार को निर्वाचन आयोग पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी और कुछ अन्य विषयों पर शिकायतें दर्ज कराईं. कुल 17 शिकायतें की गई हैं. ये सभी शिकायतें गंभीर हैं और देश के संविधान के मूल सिद्धांतों पर आघात करने वाली हैं.

नई दिल्ली: 

लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर राजनीतिक पार्टियों और नेताओं में बयानबाजी का दौर जारी है. चुनाव आयोग (Elections Commission) को इसकी शिकायतें भी मिल रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में रैली करते हुए कांग्रेस को लेकर एक बयान दिया, जिसपर पार्टी ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. कांग्रेस ने सोमवार को निर्वाचन आयोग (Election Commission) से आग्रह किया कि वह प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे, क्योंकि उन्होंने ‘विभाजनकारी और दुर्भावनापूर्ण’ बयान देकर आचार संहिता (Code of Conduct) का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है.

कांग्रेस के एक डेलीगेशन ने सोमवार को निर्वाचन आयोग पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी और कुछ अन्य विषयों पर शिकायतें दर्ज कराईं. इस डेलीगेशन में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी और गुरदीप सप्पल शामिल थे. सिंघवी ने कहा, “हमने कुल 17 शिकायतें की हैं. ये सभी शिकायतें गंभीर हैं और देश के संविधान के मूल सिद्धांतों पर आघात करने वाली हैं. हम आशा करते हैं कि जल्द से जल्द ठोस और स्पष्ट कदम उठाए जाएंगे.”

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 का उल्लंघन 
सिंघवी ने आरोप लगाया, “प्रधानमंत्री के पद पर आसीन एक व्यक्ति ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 का उल्लंघन किया है. भारतीय संविधान की अस्मिता पर प्रहार किया गया है.”

यह संवैधानिक अस्मिता का सवाल- सिंघवी
उन्होंने कहा, “भारत, संविधान, प्रधानमंत्री के पद और निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता का सवाल है…जो आम आदमी के विषय में करते हैं, वो प्रतिबंध लगाना पड़ेगा. चाहे कोई व्यक्ति कितना ही बड़ा है, क्योंकि यह संवैधानिक अस्मिता का सवाल है.” कांग्रेस ने अपने ज्ञापन में प्रधानमंत्री की टिप्पणी को विभाजनकारी और दुर्भावनापूर्ण बताया है.

क्या था पीएम मोदी का बयान?
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने रव‍िवार को राजस्थान की एक चुनावी सभा में कहा था कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. पीएम मोदी ने ये बात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का हवाला देते हुए कहा. इसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि देश के संसाधनों पर ‘पहला हक’ अल्पसंख्यक समुदाय का है.

सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने का मामला भी उठाया
दूसरी ओर, कांग्रेस ने गुजरात के सूरत लोकसभा सीट में कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन खारिज होने और बीजेपी के अतिरिक्त अन्य सभी उम्मीदवारों के नामांकन वापस लिए जाने का विषय भी निर्वाचन आयोग के समक्ष उठाया. सिंघवी ने कहा कि सूरत में चुनाव स्थगित कर नई तिथि की घोषणा की जाए.

धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल कर वोट मांग रही बीजेपी- कांग्रेस
कांग्रेस ने बीजेपी पर सोशल मीडिया हैंडल पर धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल कर इसके आधार पर वोट मांगने का आरोप भी लगाया है. पार्टी ने कहा कि इस मामले में भी निर्वाचन आयोग को कार्रवाई करनी चाहिए.

कांग्रेस का मैनिफेस्टो समझाने के लिए खरगे ने PM से मांगा समय
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को पार्टी का मैनिफेस्टो समझाने के लिए पीएम मोदी से मिलने का समय मांगा है. खरगे ने कहा, “पीएम हमारे मैनिफेस्टो को सही से समझ नहीं पाए हैं. उनसे मिलकर उन्हें मैनिफेस्टो समझाना है.” वहीं, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि मैनिफेस्टो की कॉपी हमारे पार्टी नेताओं और लोकसभा उम्मीदवारों की तरफ से प्रधानमंत्री को भेजी जाएंगी.

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