भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की है। यही नहीं उन्होंने इस मुलाकात के बाद उनकी जमकर तारीफ की है और कहा कि वह करिश्माई नेता हैं।

भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की है। यही नहीं उन्होंने इस मुलाकात के बाद उनकी जमकर तारीफ की है और कहा कि वह करिश्माई नेता हैं। स्वामी ने कहा कि वह साहसी महिला हैं और मैं सीपीएम से उनकी लड़ाई की सराहना करता हूं, जिसमें उन्होंने कम्युनिस्टों को मात दी थी। वह गुरुवार रात को कोलकाता में ममता बनर्जी से मिले थे। कोलकाता प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात करीब आधे घंटे तक चली थी। सूत्रों का कहना है कि यह औपचारिक मुलाकात थी और इसमें कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। हालांकि इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।

इसकी वजह यह है कि सुब्रमण्यन स्वामी लंबे समय से भाजपा में साइडलाइन चल रहे हैं और वह अकसर मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहते हैं। सुब्रमण्यन स्वामी ने ट्वीट किया, ‘आज मैं कोलकाता में था और करिश्माई नेता ममता बनर्जी से मुलाकात की। वह साहसी महिला हैं। मैं सीपीएम से उनकी फाइट के लिए सराहना करता हूं। उन्होंने कम्युनिस्टों को मात दे दी थी।’ उन्होंने ममता बनर्जी के साथ अपनी तस्वीर भी शेयर की थी। इस बैठक के बाद सुब्रमण्यन स्वामी के अगले राजनीतिक कदम को लेकर भी कयास लगने लगे हैं।

पहले भी कई बार चुके हैं ममता बनर्जी की तारीफ

बता दें कि बीते साल नवंबर में भी सुब्रमण्यन स्वामी ने ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। यही नहीं वह इससे पहले भी कई बार ममता बनर्जी की खुलकर तारीफ कर चुके हैं। इसी साल जुलाई में स्वामी ने ट्वीट कर कहा था कि मैं ममता बनर्जी को एक विद्वान नेता के तौर पर जानता हूं। भले ही हमारे वैचारिक मतभेद हों, लेकिन हमें किसी भी नेता की प्रतिभा को समझना चाहिए। यही नहीं गुरुवार को ही उन्होंने ट्वीट करके भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर संसदीय बोर्ड के पुनर्गठन से नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं को बाहर करने पर टिप्पणी की थी।

अब तो मोदी की मंजूरी से मनोनीत होते हैं लोग, चुनाव नहीं होते

सुब्रमण्यन स्वामी ने ट्वीट किया था, ‘जनता पार्टी और भाजपा के शुरुआती दिनों में पार्टी और संसदीय बोर्ड में नियुक्ति के लिए चुनाव होते थे। पार्टी के संविधान के अनुसार इसकी जरूरत थी। आज भाजपा में कोई चुनाव नहीं होते। हर पद पर नरेंद्र मोदी की मंजूरी से लोग नामित हो जाते हैं।’

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