अफगानिस्‍तान के पंजशीर घाटी में कब्‍जा जमाने के मंसूबे पाल बैठे तालिबान को जोर का झटका लगा है। उधर, अफगानिस्तान के राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा के नेता और पूर्व मुजाहिदीन कमांडर का बेटा अहमद मसूद ने कहा है कि वह अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलेगा और तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा। उनकी सेना तलिबान लड़ाकों से आखिरी सांस तक लड़ेगी। आखिर पंजशीर घाटी का क्‍या है मामला। तालिबान को अपने ही देश में पंजशीर लड़ाकों ने क्‍यों खड़ी की बड़ी बाधा। पंजशीर घाटी के ताजा धटनाक्रम पर अमेरिका की भी पैनी नजर है।

तालिबान पंजशीर में बड़े हमले की तैयारी कर रहा है। तालिबान के लड़ाके भारी हथियारों के साथ पंजशीर पर हमला करने पहुंच गए हैं। कहा जा रहा है कि इस बार तालिबान लड़ाकों की तादाद भी ज्यादा है। रविवार की रात पंजशीर से सटे बगलान प्रांत के अंदराब जिले में तालिबानी लड़ाकों ने हमला किया था। यहां कई लोगों के मारे जाने की खबर है। हमले को देखते हुए बगलान के देह-ए-सलाह जिले में विद्रोही लड़ाकों ने तैयारी शुरू कर दिया है। इस हमले के बाद पंजशीर के आस-पास के इलाके में पलायन शुरू हो गया है। स्‍थानीय लोग अपना घर छोड़कर भाग रहे हैं। यहां तालिबान का मुकाबला कर रहे विद्रोही कुछ दिन पहले पीछे हट गए थे और पहाड़ों पर चले गए थे, लेकिन अब उन्होंने पहाड़ों से ही तालिबान पर हमले शुरू कर दिए हैं।

हालांकि, तालिबानी भी पंजशीर मामले को जल्दी हल करने के पक्ष में हैं। तालिबान का मानना है कि पंजशीर के लड़ाकों को शांत नहीं किया गया तो उन्हें सरकार चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। गौरतलब है कि पंजशीर घाटी अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा इलाका है, जिस पर तालिबान लड़ाकों की आज तक दाल नहीं गल सकी। तालिबान के वार्ताकार अहमद मसूद से लगातार सरकार में शामिल होने के लिए बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है। हक्कानी के दावों की भी अभी पुष्टि नहीं हुई है।

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