अंबिकापुर के मेंड़्राकला स्थित सैनिक स्कूल में बुधवार को T-55 टैंक को स्थापित किया गया। T-55 रूस द्वारा निर्मित बख्तरबंद टैंक है। इसका इस्तेमाल साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में किया गया था। इस टैंक ने पाकिस्तान के कई टैंकों को नष्ट कर दिया था और पाकिस्तान को हराने में इस टैंक की अहम भूमिका रही थी। सैनिक स्कूल में परम वीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा एवं कैप्टन मनोज पांडेय की मूर्ति का अनावरण किया गया। सैनिक स्कूल अंबिकापुर में प्रदेश का पहला T-55 टैंक सैनिक स्कूल अंबिकापुर में स्थापित किया गया है। छत्तीसगढ़ में स्थापित यह दूसरा टैंक है। T-55 टैंक लंबे समय की सेवा के बाद रिटायर कर दिया गया है। रूस में बने T-55 टैंकों की भारत-पाकिस्तान के युद्ध में अहम भूमिका रही। खासकर पाकिस्तान में स्थित बसंतसर युद्ध में भारत को जीत दिलाने के लिए T-55 टैंकों को जाना जाता है। वर्किंग कंडिशन में टैंक, बढ़ेगी देशप्रेम की भावना
सैनिक स्कूल में स्थापित T-55 टैंक वर्किंग कंडिशन में है। अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल और प्रिंसपल पी. श्रीनिवास ने T-55 टैंक को स्थापित किया। परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन डॉ मनोज पाण्डेय और विक्रम बत्रा के प्रतिमा का विधायक ने अनावरण किया। सैनिक स्कूल के प्रिंसपल पी. श्रीनिवास ने कहा कि इन टैंकों ने भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस टैंक को स्थापित करने का उद्देश्य कैडेटों में देशप्रेम की भावना बढ़ाना है। स्कूल के दो भवन शहीदों के नाम
अंबिकापुर सैनिक स्कूल के दो भवनों का नामकर कारगिल वार में शहीद कैप्टन मनोज पांडेय एवं कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर किया गया है। दोनों भवनों में शहीदों के प्रतिमाओं का अनावरण भी किया गया। दोनों शहीद युवा पीढ़ी को प्रेरणा देते हैं। इस अवसर पर सैनिक स्कूल के टीचर्स, अतिथिगण एवं पालक संघ के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। T-55 टैंकों को नजदीक से देखकर सैनिक स्कूल के कैडेट उत्साहित दिखे।

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