श्रीलंका में हालात बेहतर होने से कहीं दूर हैं, बजाय इसके कि गुरुवार देर शाम पूर्व प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे को फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई है.

पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे अब इस्तीफ़ा दे चुके हैं. वे परिवार के साथ देश के उस पूर्वी इलाक़े में जा बैठे हैं, जहाँ वे आधिकारिक दौरे भी कम ही किया करते थे.

महिंदा के भाई गोटाबाया राजपक्षे अभी भी देश के राष्ट्रपति हैं और बढ़ते हुए विरोध के बावजूद सत्ता छोड़ने को तैयार नही हैं.

कोलंबो के एक मैजिस्ट्रेट ने महिंदा राजपक्षे के परिवार समेत 13 लोगों के ऊपर देश से बाहर न जाने का ट्रैवल बैन भी लगा दिया है.

उनके बेटे नमल राजपक्षे ट्वीट के ज़रिए कह रहे हैं, “देश में नफ़रत और हिंसा फैलाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए और उनके ख़िलाफ़ भी जिन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाया और उनके ख़िलाफ़ भी जिन्हें बेक़ाबू भीड़ ने निशाना बनाया था.”

बात है 9 मई की, जगह थी कोलंबो के सबसे महंगे गॉल स्ट्रीट इलाक़े के सबसे पॉश एड्रेस, टेम्पल ट्रीज़. महिंदा राजपक्षे का आधिकारिक निवास.

इसी के बाहर महिंदा राजपक्षे और उनकी सरकार के ख़िलाफ़ महीने भर से शांतिपूर्ण विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत हुई थी.

42 साल की नूरा भी पिछले कई हफ़्तों से श्रीलंका के बिगड़े हालात को लेकर सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर रही हैं. उस रात को याद कर वे अब बेचैन हो उठती हैं.

वे कहती हैं, “हम लोग तो गॉल फ़ेस पर धरना स्थल पर ही बैठे थे. फ़ेसबुक पर मैसेज आने शुरू हुए कि राजपक्षे समर्थकों की बड़ी भीड़ हमारी तरफ़ बढ़ रही है. बस उनके घर के पास ही वे आकर हमें मारने-पीटने लगे. मैं अकेली महिला थी क़रीब दो दर्जन लोगों मेरे शरीर को दबाया, कपड़े खींचे और आगे बढ़ गए,”

ये बताते हुए नूरा की आँखे नम हो चुकीं थीं.

उस सदमे को भुलाने की कोशिश करते हुए नूरा फिर से गॉल फ़ेस पर प्रदर्शनकारियों के साथ बैठी हुई हैं और उनकी माँग है, “राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफ़े से कम में कोई यहां से नहीं हिलेगा.”

उस रात की हिंसा के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफ़ा दे दिया था, लेकिन फिर भी लोगों को ग़ुस्सा नहीं थमा और अगले दिन यानी मंगलवार शाम तक सत्ताधारी पार्टी के लोगों के ख़िलाफ़ मुहिम जारी रही.

तब से राजधानी कोलंबो में कर्फ़्यू लगा दिया गया, जिसमें गुरुवार को सात घंटे की छूट दी गई.

श्रीलंका में गहरा चुके आर्थिक संकट से निबटने में सरकार की नाकामी के ख़िलाफ़ होने वाले प्रदर्शन फिर से तेज़ी पकड़ रहे हैं. गुरुवार देर शाम पूर्व प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री पद की शपथ तो ली लेकिन ज़्यादातर लोग इससे बहुत सहमत नहीं दिख रहे हैं.

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