छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग(सीजीपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी ने अपने भतीजे- भ​तीजियों का चयन करवाने के लिए बड़ी साजिश रची थी। एजेंसी का मानना है कि इस मामले में जो पर्चे लीक हुए, वे 4 नहीं, और कई अभ्यर्थियों को मुहैया करवाए गए थे। इसे लेकर जांच चल रही है। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ है कि इसके लिए उसने सबसे पहले नियम बदलवाए। ‘रिलेटिव’ की जगह ‘फैमिली’ लिखवाया, और फैमिली से भतीजा शब्द हटवा दिया। साजिश को अंजाम देने की शुरुआत 14 जुलाई 2021 को हुई। उस दिन सोनवानी के ही निर्देश पर रिलेटिव (रिश्तेदार) के स्थान पर ​फैमिली (परिवार) शब्द को बदलने का प्रस्ताव बोर्ड में रखा गया। सीजीपीएससी की अधिसूचना 4 फरवरी 2021 में रिश्तेदार शब्द के तहत पुत्र, पुत्री, दत्तक पुत्र, दत्तक पुत्री, पति, पत्नी, भाई, भाई की पत्नी, जीजा, भाभी, बहन, बहन का पति, भतीजा, भतीजी को रिश्तेदार माना जाए, ये उल्लेखित है। इस बैठक में अधिसूचना के संदर्भ में रिलेटिव के स्थान पर फैमिली शब्द का उपयोग किया गया है। फैमिली को पति-पत्नी, बेटा, बेटी, दत्तक पुत्र, दत्तक पुत्री, पुत्र वधू, दामाद, दत्तक पुत्र की पत्नी, दत्तक पुत्री का पति, पौत्र और पौत्री के रूप में परिभाषित किया गया है। बैठक में यह भी तय हुआ कि सीजीपीएससी के अध्यक्ष और सदस्य का कोई भी करीबी रिश्तेदार/परिवार का सदस्य परीक्षा में शामिल होने की स्थिति में उक्त अध्यक्ष और सदस्य आयोजित परीक्षा की प्रक्रिया से खुद को दूर रखेंगे। सीबीआई के मुताबिक फैमिली की परिभाषा से भतीजा शब्द ही हटा दिया गया। ये शब्द हट गया और टामन की खुद को चयन प्रक्रिया में शामिल रखने की राह बंद नहीं हुई। यह सारी कवायद नितेश और साहिल (भतीजे) को पीएससी 2021 में चयनित करवाने की थी। परिवार की परिभाषा से भतीजा शब्द हटने से उन पर पक्षपात का आरोप भी न लगे। नियम न बदलते तो टामन साजिश को अंजाम नहीं दे पाते
सीजीपीएससी की प्रक्रिया के नियम में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि पीएससी के अध्यक्ष और सदस्य के करीबी रिश्तेदार/परिवार के सदस्य परीक्षा में शामिल होते हैं, उस स्थिति में, खुद को आयोजित परीक्षा की प्रक्रिया से दूर रखना है। इस तरह के पूर्व के एक मामले में अध्यक्ष ने बेटे परीक्षा में शामिल होने के पूरी प्रक्रिया से खुद को बाहर कर लिया था। इसके लिए उन्होंने लिखित में आवेदन भी दिया था। टामन ने पत्नी के एनजीओ के लिए श्रवण से मांगे थे 1 करोड़ भास्कर पड़ताल में खुलासा हुआ है कि टामन सिंह ने अपनी पत्नी डॉ. पद्मिनी सिंह सोनवानी (सरकारी डॉक्टर) की अध्यक्षता वाले एनजीओ ग्रामीण विकास समिति (जीवीएस), जीजामगांव के लिए बजरंग पॉवर एंड इस्पात के डायरेक्टर श्रवण कुमार गोयल से 1 करोड़ रुपए की मांग की थी। बकायदा इसका प्रस्ताव टामन ने पीएससी के उप परीक्षा नियंत्रक (गिरफ्तार हो चुका) ललित गनवीर से बनवाया था। श्रवण ने अपने बोर्ड को गुमराह किया। बोर्ड ने पहले 20 लाख और बाद में 25 लाख रु. की मंजूरी दे दी। जो 2 मार्च 2022 और 18 अप्रैल 2022 को जीवीएस के खाते में ट्रांसफर हुए थे। इसके बाद ही श्रवण को प्रश्न-पत्र मुहैया करवाए गए थे, जो उसने अपने बेटे शशांक और बहू भूमिका को दिए थे। बाद में ये दोनों डिप्टी कलेक्टर पर चयनित हुए। बता दें कि टामन के भाई अनिल कुमार सोनवानी जीवीएस के सचिव, पीएससी के उप परीक्षा नियंत्रक (गिरफ्तार) ललित गनवीर कोषाध्यक्ष और टामन का भतीजा नितेश सोनवानी सदस्य है। जांच में पाया गया कि जीवीएस में टामन सिंह और उनके परिवार का नियंत्रण है। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में लिखा है कि श्रवण ने सही कारण छिपाकर सीएसआर समिति के अन्य सदस्यों को गुमराह किया। सुनियोजित था घोटाला, सीबीआई के रडार पर कई बड़े अधिकारी इनके खिलाफ जांच जारी है… सीएफएसएल भेजे गए जब्त ​​​​किए गए डिवाइस
सीबीआई ने 7 मोबाइल, 1 लैपटॉप को जब्त किया है। इन्हें जांच के लिए सीएफएसएल नईदिल्ली भेजा गया है। इन सभी डिवाइज में मौजूद डेटा और डिलीट डेटा रिकवर कर, एक्सपर्ट ओपिनियन मांगा गया है।
सबसे बड़ा सवाल: भर्ती घोटाले के बारे में तत्कालीन कांग्रेस सरकार अनजान थी या जानबूझकर होने दिया। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इसमें कई नेता शामिल हो सकते हैं।

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