रायपुर. प्रदेशभर के थानों में लॉकडाउन खुलने के बाद से बड़ी संख्या में फरियादी अपनी समस्याओं को लेकर पहुंच रहे हैं। थानों में आलम कुछ इस तरह का है कि पीड़ितों को न्याय मिलने की बात तो दूर, शिकायतें तक दर्ज नहीं की जा रही हैं। डीजीपी के आदेश के बाद बनाए गए समाधान सेल से यह खुलासा हुआ है, जहां 1498 मामलों में पीड़ितों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए डीजीपी से न्याय मांगा है। ऐसे मामलों पर तत्काल संज्ञान लेते हुए डीजीपी डीएम अवस्थी ने भी जांच अफसरों की ओर से त्वरित कार्रवाई करने एसपी के मार्फत पत्र जारी किया है। समाधान सेल में कई ऐसे केस भी हैं, जिसमें गंभीर किस्म के मामलों में थानेदारों ने सही तरीके से रुचि नहीं दिखाई है। ऐसे मामलों में उन्हें भी जवाब तलब करने के लिए नोटिस जारी करने तैयारी शुरू हुई है। समाधान सेल के पास पहुंचे मामलों में 1094 मामलों का निराकरण कर लिया गया है, लेकिन अभी भी 357 मामले विचाराधीन हैं। इनमें गंभीर किस्म के मामलों में छंटनी चल रही है, जिसमें 50 थानेदारों से जवाब तलब कर कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं।

लंबित प्रकरणों में 47 केस सुरक्षित

डीजीपी के पास अभी सुनवाई के लिए 47 मामले रखे गए हैं। समाधान में पहुंची शिकायतों पर ये मामले बहुत गंभीर बताए गए हैं। इन मामलों में आगे डीजीपी सख्त कार्रवाई कर सकते हैं। तीन से चार महीने अपनाई गई समाधान सेल की नई व्यवस्था में लोगों ने फोन नंबर के जरिए डीजीपी श्री अवस्थी के समक्ष अपनी समस्या रखी है। पुलिस की लापरवाही सामने आने पर निंदा और दंडात्मक कार्रवाई के लिए भी कहा जा रहा हैै।

कोरोना मरीज के मामले में पुलिस ने झाड़ा पल्ला

समाधान सेल के पास पहुंचे मामलों में ऐसे केस भी हैं, जब गंभीर समस्या के बीच लोग परेशान हुए हैं। थाने तक पहुंचने के बाद पुलिस की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं की गई है। डीजीपी के हस्तक्षेप के बाद थानेदारों ने मामला संज्ञान में लिया है। इनमें से एक केस मोवा थाने का है, जहां एक शख्स को कोरोना होने की पुष्टि के बाद मकान मालिक ने घर से निकालने की कोशिश की। रसूखदार परिवार की ओर से जबरिया दबाव बनाए जाने की शिकायत पर पुलिस ने पल्ला झाड़ लिया। गंभीर शिकायतों पर कार्रवाई समाधान सेल में सामने आ रहे मामलों की बारीकी जांच चल रही है। अगर थाने में पुलिस ने किसी तरह की लापरवाही बरती है तो जांच कर कार्रवाई करने एसपी को निर्देश दिए गए हैं।

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