श्याम बेनेगल का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। यह कहना है अशोक मिश्रा का। उन्होंने बताया कि 1988-89 में भारत एक खोज के जरिए बेनेगल ने मुझे ब्रेक दिया। इसके बाद मैंने उनके लिए कई डॉक्यूमेंट्री लिखीं। संक्रांति, अमरावती की कथाएं ये दोनों सीरियल और फिर 3 फिल्में- समर, वैलकम टू सज्जनपुर और वेलडन अब्बा। मिश्रा के मुताबिक… बेनेगल मेरे सिनेमाई गुरु हैं। पढ़ना उनका शौक था। मैंने पाया कि वे हर किसी के विचारों को सम्मान देते। उनमें ईगो नहीं देखा। इतनी छूट देते थे कि झगड़ा करने में भी डर नहीं लगता था। उनकी राजनीतिक समझ अच्छी थी। आम आदमी के दुख-दर्द को बहुत को समझते थे। हिंदुस्तान के सिनेमा, हिंदुस्तान की आत्मा, लोक संगीत, लोक संस्कृति को जानते थे। उन्होंने 1975 में हबीब तनवीर के नाटक चरण दास चोर पर फिल्म बनाई। इस फिल्म की शूटिंग खैरागढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्विद्यालय में हुई थी। उनकी फिल्मों में विविधता है। उनकी फिल्में एक नई दुनिया में लेकर जाती हैं और हर फिल्म में नई कहानी मिलती है। जब मैं वेलडन अब्बा लिख रहा था तो मैंने उनसे कहा- क्यों ना फिल्म में डबल रोल रखें, सेक्सपीयर ने भी अपने ड्रामा- कॉमेडी ऑफ एरर में डबल रोल रखा था। उन्होंने कहा- जरूर करना चाहिए। तब बोमन ईरानी का रोल डबल रखा। वे समय के पाबंद थे। 2 बजे लंच, 5 बजे पैकअप। वे पहले ऐसे निर्देशक थे, जो संडे की छुट्टी के हिमायती थे। उनकी खासियत थी कि स्पॉट बॉय से लेकर सभी को लगता था कि ये हमारी फिल्म है। एक बात और उनकी टीम के लिए खाना एक जैसा बनता था। एक बार हम रिसर्च के लिए यात्रा कर रहे थे। भारी गर्मी में हम भोपाल से सागर जा रहे थे। अचानक मुझे एक बड़ी पानी टंकी दिखी। मैं टंकी पर चढ़ गया और ऊपर से गांव देख रहा था। मैंने श्याम दादा से कहा- गांव बहुत खूबसूरत है। इतना सुनते ही वे खुद ऊपर आ गए। फिर कार से उसी गांव में हम गए। श्याम दादा में काम को लेकर गजब का जुनून था। सप्ताह में तीन दिन वे डायलिसिस पर होते थे और तीन दिन वे ऑफिस जाते थे। 8 महीने पहले उन्होंने मुझे फोन किया और पूछा- एक फिल्म लिखोगे? मैंने हां में जवाब दिया और फिल्म का नाम पूछा। उन्होंने बताया आधुनिक, जो गांव के विकास की कहानी थी। उन्होंने मुझसे पूछा कहां से लिखोगे, मैंने कहा- छत्तीसगढ़। वे कलाकारों को पहचानते थे। उनकी अंतिम फिल्म “मुजीब – द मेकिंग ऑफ अ नेशन’ थी, जो साल 2023 में रिलीज हुई। ये बांग्लादेश के राष्ट्रपति मुजीब पर आधारित है, जिसमें रायपुर के सौभाग्य शिल्पी ने काम किया है। जैसा कि बेनेगल के लिए फिल्में, ड्रामा और डॉक्यूमेंट्री लिखने वाले अशोक मिश्रा ने भास्कर को बताया।