फास्ट टेक्नॉलॉजी में एड्स की स्पीड और फ्लेवर भी बदल गया. एक दौर ऐसा भी था जब दूरदर्शन पर आने वाले एड्स ही लोगों को बांध कर रखते थे. स्क्रीन पर एड आते थे तो चैनल नहीं बदलता था न लोग काम के लिए उठते थे बल्कि एड भी उतनी ही दिलचस्पी के साथ देखा करते थे.

नई दिल्ली: 

वक्त और टेक्नोलॉजी के दौर के साथ एड्स बनाने का तरीका भी बदला है. कई एड्स तो ऐसे हैं जिन्हें देखकर लगता है कि वो सितारों का स्टारडम दिखाने के लिए स्क्रीन पर सजाए गए हैं. और, कुछ एड्स देखकर ऐसा लगता है कि सुपरहीरो की फौज ही चली आई है. फास्ट टेक्नॉलॉजी में एड्स की स्पीड और फ्लेवर भी बदल गया. एक दौर ऐसा भी था जब दूरदर्शन पर आने वाले एड्स ही लोगों को बांध कर रखते थे. स्क्रीन पर एड आते थे तो चैनल नहीं बदलता था न लोग काम के लिए उठते थे बल्कि एड भी उतनी ही दिलचस्पी के साथ देखा करते थे.

उस दौर के एड्स का एक वीडियो यूट्यूब पर वायरल होकर उस समय की यादें ताजा कर रहा है. जिसमें 80 से 90 के दशक के बीच टीवी पर आने वाले एड्स की लंबी रील है. ये उस दौर के एड हैं जब विज्ञापन के गाने भी फिल्मी गीतों की तरह गुनगुनाए जाते थे. मसलन बजाज स्कूटर का एड जिसकी फेमस लाइन थी बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर हमारा बजाज. उस वक्त जिन घरों में बजाज का स्कूटर होता था उनमें से कई स्कूटर की सवारी करते हुए यही लाइनें गुनगुनाते थे. इसी तरह मैगी के एड की झिंगल मैगी… मैगी… मैगी… भी उसे पकाते हुए मन में चलती ही रहती थी.

वन लाइनर्स भी थे शानदार

पर एक बात तो हम आपसे कहना भूल ही गए, बारातियों का स्वागत पान पराग से होना चाहिए- आइकोनिक एड, आइकोनिक सितारे और आइकोनिक लाइन को कौन भूल सकता है. शादी ब्याह की बात चलती है तो ये लाइन आज भी बातों बातों में कहीं याद आ ही जाती है. इसके अलावा फेविकोल का मजबूत जोड़ जैसी पंच लाइन का तोड़ भी आज तक नहीं मिल सका है. ऐसे ही एड्स देखकर बचपन की यादें ताजा करनी हों तो आप भी ये वीडियो देख सकते हैं.

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