इस वर्ष का प्रतिष्ठित सरस्वती साहित्य सम्मान साहित्यकार और इतिहासकार डॉ. संजय अलंग को दिए जाने की घोषणा की गई है।

यह पुरस्कार उनके द्वारा छत्तीसगढ़ की इतिहास और संस्कृति पर किए विशिष्ट शोधों और शोधात्मक इतिहास लेखन को रेखांकित करते हुए दिया जा रहा है। चयन समिति ने एक मत से संजय अलंग का पुरस्कार हेतु चयन किया। पुरस्कार घोषणा के साथ यह कहा गया है कि, डॉ. अलंग के शोधों ने छत्तीसगढ़ से संबंधित कई भ्रांतियों का खंडन कर नए तथ्यों को संदर्भ और प्रमाण के साथ सामने लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया और शोध के लिए नए आयाम खोले। इतिहास को लिखने और देखने की शोध दृष्टि विकसित कर नए शोधार्थियों को प्रेरित भी किया। उनके द्वारा छत्तीसगढ़ पर किया गया काम अत्यधिक महत्वपूर्ण और विशिष्ट है। इस हेतु उन्हें केन्द्र के मानव संसाधन और शिक्षा मंत्रालय से सर्वश्रेष्ठ शोध शिक्षा लेखन का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।

डॉ. संजय अलंग की छत्तीसगढ़ पर 10 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। डॉ. संजय अलंग की इन पुस्तकों में – छत्तीसगढ़: इतिहास और संस्कृति, छत्तीसगढ़ की रियासतें और ज़मींदारियां, छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ और जातियाँ, छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प, छत्तीसगढ़ का भूगोल, छत्तीसगढ़ की संस्कृति, छत्तीसगढ़ के त्योहार और उत्सव आदि सम्मिलित हैं ।

संजय अलंग के 3 कविता संग्रह भी प्रकाशित हैं । यह हैं – शव, पगडंडी छिप गई थी और नदी उसी तरह सुन्दर थी जैसे कोई बाघ।

डॉ. संजय अलंग को यह सम्मान पं. बबन प्रसाद मिश्र स्मृति समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा और इस अवसर पर उनका एक शोध आधारित व्याख्यान होगा, जिसका विषय है – छत्तीसगढ़ में छत्तीस और गढ़ क्या और कैसे?

ज्ञातव्य हो को कि, हाल ही में संजय अलंग को उनके नवीन कविता संग्रह – नदी उसी तरह सुन्दर थी जैसे कोई बाघ- पर प्रतिष्ठित सूत्र सम्मान दिए जाने की भी घोषणा हुई थी।

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