संगरूरः ढिल्लो बरनाला जिले के रहने वाले हैं। 72 साल के केवल 2019 में भगवंत मान से संगरूर लोकसभा का चुनाव हार गए थे। हालांकि उन्होंने 3.03 लाख वोट लेकर दिखाया कि वो मजबूत नेता हैं।
बीजेपी ने पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने केवल ढिल्लों को उम्मीदवार घोषित किया है। संगरूर सीट के भगवंत मान सांसद थे। उन्होंने विधानसभा चुनाव में धुरी असेंबली सीट से जीत हासिल की थी। फिर वो सीएम बन गए। उसके बाद से यह सीट खाली है। अब यहां उपचुनाव होने जा रहा है। भगवंत मान ने 2014 और 2019 में संगरूर संसदीय सीट से जीत हासिल की थी। आप के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना अहम है। लेकिन इस बार ये चुनौतीपूर्ण भी है।
संगरूर लोकसभा सीट पर 23 जून को मतदान होना है। नामांकन की प्रक्रिया अभी चल रही है। उपचुनाव के लिए 26 जून को मतगणना होगी। नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि छह जून है। आप ने गुरमेल सिंह और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) से सिमरनजीत सिंह मान ने नामांकन दाखिल किया है। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने बेअंत सिंह हत्याकांड मामले के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की बहन कमलदीप कौर को संगरूर सीट के लिए शिअद-बसपा गठबंधन और सभी पंथिक संगठनों का उम्मीदवार घोषित किया है। जबकि कांग्रेस ने दलबीर गोल्डी के नाम की घोषणा की है। गोल्डी धूरी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं और हाल के विधानसभा चुनाव में उन्होंने धूरी हलके से ही भगवंत मान के खिलाफ चुनाव लड़ा और हार गए थे।
केवल सिंह ढिल्लो कांग्रेस के के पूर्व कांग्रेस विधायक व पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उनको पार्टी विरोधी गतिविधियां के आरोप में निष्कासित कर दिया गया है। केवल ढिल्लों पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेहद करीबी रहे हैं। अमरिंदर ने उनके ही आग्रह पर बरनाला को जिला बनाया था। लेकिन जब कैप्टन ने कांग्रेस को अलविदा कहा तब उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी थी। ढिल्लो लगातार दो बार विधायक बने लेकिन पिछला विधानसभा व लोकसभा चुनाव हार गए थे। उन्होंने संगरूर से ही लोकसभा चुनाव लड़ा था।
ढिल्लो बरनाला जिले के रहने वाले हैं। 72 साल के केवल 2019 में भगवंत मान से संगरूर लोकसभा का चुनाव हार गए थे। हालांकि उन्होंने 3.03 लाख वोट लेकर दिखाया कि वो मजबूत नेता हैं। उनकी हार 1.1 लाख वोटों से हुई थी। 132.88 करोड़ की संपत्ति के मालिक ढिल्लो सफल व्यवसायी हैं। वो तीन बार कांग्रेस से असेंबली का चुनाव लड़ा। 2007, 2012 में जीते भी। जब भी वो विधायक बने कांग्रेस विपक्ष में थी। 2017 में वो 2432 वोटों से चुनाव हार गए। 2022 के असेंबली चुनाव में उन्हें टिकट की उम्मीद थी लेकिन कांग्रेस ने पवन बंसल के बेटे मनीष को उनकी सीट से मैदान में उतार दिया। वो निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके थे पर फिर पीछे हट गए।
उसके बाद कांग्रेस ने उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि मनीष तिवारी ने उनके निष्कासन पर अपनी ही पार्टी को आईना दिखाकर कहा कि जब कांग्रेस पर कोई एक पैसा लगाने को तैयार नहीं था तब ढिल्लो ने ही मदद की थी। फिलहाल केवल ढिल्लो पीएम मोदी के कसीदे पढ़कर वोटर्स को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी करके बेहतरीन काम किया है।