रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अभी समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा, इस बीच रूस और फिनलैंड में भी तनातनी बढ़ गई है। दरअसल, फिनलैंड और स्वीडन NATO की सदस्यता के लिए आवेदन करने जा रहे हैं। इसे लेकर रूस ने कड़ा विरोध जताया है और फिनलैंड को तबाह करने की धमकी दी है। नाटो में शामिल होने का इच्छुक फिनलैंड सिर्फ 10 सेकेंड में साफ हो जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या फ‍िनलैंड की सेना रूसी सैनिकों का सामना कर सकेगी। इस बारे में रूस का क्‍या दावा है।

1- रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन के एक वरिष्ठ सहयोगी ने ब्रिटेन पर परमाणु हथियार दागने की धमकी देते हुए दावा किया है कि इसमें सिर्फ तीन मिनट लगेंगे। ड्यूमा के रक्षा समिति के डेप्युटी चेयरमैन अलेक्सी ज़ुरावलेव ने दावा किया कि नाटो में शामिल होने का इच्छुक फिनलैंड सिर्फ 10 सेकेंड में साफ हो जाएगा। खास बात यह है कि ज़ुरावलेव की धमकियां ऐसे समय पर आई हैं, जब यूक्रेन में पुतिन की सेना बैकफुट पर आ चुकी है और अब फिनलैंड, स्वीडन जैसे दूसरे देश भी नाटो में शामिल होने की इच्छा जता रहे हैं।

2- गौरतलब है कि फिनलैंड यह घोषणा कर चुका है कि वह नाटो में शामिल होने का समर्थन करता है। इसके बाद शनिवार को रूस ने अपने पड़ोसी देश की बिजली सप्लाई रोक दी। फिनलैंड अपनी कुल बिजली खपत का 10 फीसद रूस से आयात करता है। अलेक्‍सी ने कहा कि अगर फिनलैंड इस खेमे में शामिल होना चाहता है तो हमारा लक्ष्य बिल्कुल वैध है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका हमारे देश को धमकी देता है तो हमारे पास आपके लिए सरमत (Satan-2 मिसाइल) है। अगर आप रूस के अस्तित्व को मिटाने की सोचेंगे तो आप राख हो जाएंगे।

3- अलेक्‍सी ने कहा कि फिनलैंड का कहना है कि वह अमेरिका के साथ है। उन्‍होंने कहा कि फिनलैंड को रूस का आभारी होना चाहिए कि आज वह एक देश के रूप में मौजूद है। उन्‍होंने कहा कि हम सर्बिया में बैठकर एक सरमत मिसाइल से हमला कर सकते हैं, जिसकी पहुंच ब्रिटेन तक है। उन्‍होंने कहा कि अगर हम कैलिनिनग्राद से हमला करते हैं तो हाइपरसोनिक मिसाइल को पहुंचने में 200 सेकेंड लगेंगे। अलेक्‍सी ने कहा कि हम फिनलैंड की सीमा पर रणनीतिक हथियार तैनात नहीं करेंगे, लेकिन हमारे पास किंझल क्लास की मिसाइलें हैं, जो 20 या सिर्फ 10 सेकेंड में फिनलैंड पहुंच सकती हैं। उन्होंने कहा कि रूस अपनी पश्चिमी सीमा पर अपने सैन्य बलों को व्यापक रूप से मजबूत करेगा। रूसी अधिकारी ने दावा किया कि फिनलैंड को नाटो में शामिल होने के लिए ब्रिटेन और अमेरिका ने उकसाया है।

1- रूस ने जिस तरह यूक्रेन पर हमला करके तबाही मचाई है, उसने रूस के दूसरे पड़ोसी देशों और आसपास के देशों में चिंता बढ़ा दी है। रूस के पड़ोसी मुल्‍क अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। यही कारण है कि अधिकतर देश नाटो में शामिल होकर खुद को सुरक्षित करना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि सदस्य बनने पर अमेरिका और अन्य बड़े नाटो देश उनकी रक्षा करेंगे। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को अब तीन महीने होने को है। रूस ने यूक्रेन पर जिन वजहों से हमला किया, उसमें एक बड़ा कारण यूक्रेन का नाटो (NATO) में शामिल होने की तैयारी थी। रूस कभी नहीं चाहता कि उसका कोई भी पड़ोसी देश नाटो का सदस्य बने।

2- जहां तक बात है फिनलैंड की तो इसका करीब 1340 किलोमीटर एरिया का बार्डर रूस से लगा है। लंबे समय से दोनों देशों के बीच कोई टकराहट नहीं है, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ थे। इन सबके बीच रूस ने यूक्रेन पर हमला करके उसकी चिंता बढ़ा दी है। इसी तरह स्वीडन फिनलैंड का पड़ोसी है। रूस कई बार स्वीडन के एयरस्पेस में घुसपैठ कर चुका है। दोनों ही देश रूस से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यही वजह है कि फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होना चाहते हैं। दोनों देश के नागरिक भी मौजूदा हालात को देखते हुए अब नाटो में शामिल होने के पक्ष में हैं, जबकि कुछ साल पहले तक बहुत कम लोग ऐसा चाहते थे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *