मास्‍को: यूक्रेन के बाद अब उत्‍तरी यूरोप में तनाव बढ़ता जा रहा है। आर्कटिक से सटे इसे इलाके में रूस ने फिनलैंड और स्‍वीडन की सीमा के पास मिसाइलें और अन्‍य घातक जंगी हथियार तैनात कर दिए हैं। दरअसल, दशकों तक तटस्‍थ रहने वाले फिनलैंड और स्‍वीडन ने खुलकर संकेत दे दिया है कि वे उत्‍तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में शामिल होने जा रहे हैं। फिनलैंड की प्रधानमंत्री साना मारिया ने कहा है कि उनका देश अगले कुछ सप्‍ताह में यह फैसला कर लेगा कि क्‍या उन्‍हें नाटो में शामिल होना है या नहीं। उधर, फिनलैंड और स्‍वीडन से आ रहे इन संकेतों पर रूस भड़क गया है और उसने न केवल मिसाइलें तैनात कर दी हैं, बल्कि दोनों ही देशों को चेतावनी दी है। आइए समझते हैं कि क्‍यों पुतिन फिनलैंड और स्‍वीडन के कदम से खौफ में हैं….

दरअसल, फिनलैंड और स्‍वीडन रूस से बेहद करीब हैं। फिनलैंड की तो सीमा भी रूस से मिलती है। फिनलैंड लंबे समय से तटस्‍थ देश की भूमिका में रहा है। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद अब फिनलैंड को डर सता रहा है कि उसका वही हश्र हो सकता है। यही वजह है कि न केवल फिनलैंड की सरकार बल्कि वहां की जनता भी नाटो में शामिल होने पर विचार कर रही है। फिनलैंड की पीएम ने बुधवार को कहा, ‘नाटो की सदस्‍यता के लिए आवेदन देने या नहीं देने को लेकर अलग- अलग दृष्टिकोण हैं और हमें इसका बहुत सतर्कतापूर्वक विश्‍लेषण करना होगा।’ उधर, जनमत सर्वेक्षणों में फिनलैंड की अधिकांश जनता ने नाटो में शामिल होने का समर्थन किया है।

रूस ने नाटो पर फिनलैंड को कड़ी चेतावनी दी
फिनलैंड की प्रधानमंत्री मारिया ने कहा कि हमारा देश नाटो का पार्टनर है लेकिन सदस्‍य होने का अलग मतलब है। उन्‍होंने कहा कि नाटो का सदस्‍य होते हम आर्टिकल 5 के दायरे में आ जाएंगे जो सामूहिक सुरक्षा मुहैया कराता है। इसी की मांग यूक्रेन भी कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि नाटो न केवल एक सैन्‍य गठबंधन है बल्कि एक राजनीतिक गठबंधन है। नाटो एक ऐसा संगठन है जहां हमारी सुरक्षा से जुड़े सभी महत्‍वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं। यह यूरोप के राजनीतिक और सुरक्षा ढांचे का अहम हिस्‍सा है। इस बीच रूस ने फिनलैंड को कड़ी चेतावनी दी है। माना जा रहा है कि रूस की कोशिश है कि फिनलैंड को किसी तरह से डराकर नाटो का सदस्‍य बनने से रोका जाए।

रूसी राष्‍ट्रपति के प्रवक्‍ता ने कहा कि फिनलैंड का यह कदम यूरोप में सुरक्षा हालात को नहीं सुधारेगा। उन्‍होंने कहा कि यह फिनलैंड की तबाही लेकर आएगा। माना जा रहा है कि जून के अंत तक फिनलैंड नाटो की सदस्‍यता पर फैसला ले लेगा। रूस के क्रीमिया पर हमले के बाद फिनलैंड और स्‍वीडन ने आपस में एक सुरक्षा समझौता किया था और दोनों के बीच काफी घनिष्‍ठ सहयोग होता है। स्‍वीडन की प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि रूस का यूक्रेन पर हमला निर्णायक मौका है। उन्‍होंने कहा कि सुरक्षा का पूरा परिदृश्‍य ही बदल गया है। बता दें कि फिनलैंड से बेहद पास में ही रूस की आर्थिक राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग है। इस शहर में रूस के अरबपति रहते हैं। जंग की सूरत में फिनलैंड रूस के इस शहर को तबाह कर सकता है। फिनलैंड अमेरिका के अत्‍याधुनिक एफ- 35 फाइटर जेट रखता है जो रेडॉर की पकड़ में भी नहीं आते हैं।

रूस ने मिसाइल सिस्‍टम K-300P बास्तिओन पी को तैनात किया
रक्षा विशेषज्ञ शशांक जोशी कहते हैं, ‘स्‍वीडन और फिनलैंड नाटो के लिए बड़ी ताकत साबित होंगे। ये एक-दूसरे से बहुत ज्‍यादा एकजुट हैं। यही नहीं ये दोनों ही देश नाटो के साथ मिलकर काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। फिनलैंड के पास अन्‍य ताकतों के अलावा यूरोप में सबसे बड़ा तोपखाना फोर्स है। अगर ये दोनों देश शामिल होते हैं तो नाटो के लिए उत्‍तरी मोर्चे और बाल्टिक सागर में रक्षा करना आसान हो जाएगा।’ यही वजह है कि रूस भी अब फिनलैंड और स्‍वीडन के दांव से सहमा हुआ है। रूस ने बड़े पैमाने पर भारी हथियारों और मिसाइलों को फिनलैंड की सीमा के पास तैनात कर दिया है। अपुष्‍ट रिपोर्टों के मुताबिक रूस ने तटीय सुरक्षा से जुड़े दो रक्षा मिसाइल सिस्‍टम K-300P बास्तिओन पी को फिनलैंड जाने वाले अपने इलाके में तैनात किया है।

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