पेंड्रा जिले में चावल का संकट खड़ा हो गया है, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा बांटा जाने वाला चावल वेयर हाउस कॉरपोरेशन के गोदामों में एक तिहाई ही बचा है.

पेंड्रा: 

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा बांटा जाने वाला चावल वेयर हाउस कॉरपोरेशन के गोदामों में एक तिहाई ही बचा है. जिले में उत्पन्न हो रहा यह चावल संकट अचानक पैदा नहीं हुआ बल्कि राइस मिल रोड द्वारा समय पर धान की माइनिंग कर चावल नागरिक आपूर्ति निगम के वेयरहाउस गोदामों में जमा नहीं करने के कारण हुआ है. चावल का स्टॉक इस महीने के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बांटने के लिए नहीं है. नियमानुसार कम से कम 3 महीने का चावल रिजर्व होना चाहिए. कई राइस मिलों द्वारा 2 महीने से CMR  (Custom Milled Rice)  चावल जमा नहीं करने से स्थिति बिगड़ गई है. एक जांच परीक्षण में 9 राईस मिलों में 80 मेट्रिक टन धान की भारी कमी पाई गई थी.

दरअसल, कस्टम मिलिंग का कॉन्ट्रैक्ट करने के बाद राइस मिलों को अनुबंधित समय में उठाए गए धान का चावल नागरिक आपूर्ति निगम को जमा करना होता है पर राइस मिलों ने कई महीने से नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में चावल जमा करना बंद कर दिया था या एकदम से कम कर दिया था, जिसकी वजह से गोदामों में चावल की कमी हुई. तब प्रशासन ने मामले का संज्ञान लेते हुए 9 राइस मिलों को चावल जमा करने के लिए लगातार नोटिस दिए. नोटिस दिए जाने के बावजूद जब मिलर्स ने चावल जमा नहीं किया तब राइस मिलों की जांच की गई. जांच में 80 मेट्रिक टन धान कम पाया गया, जिसके बाद 9 राइस मिलों के 2.05 लाख क्विंटल धान को जब्त कर लिया गया.

मामले में जब राइस मिलों से जवाब मांगा गया तो मिलर्स ने जवाब दिया कि 60 प्रतिशत धान में टूटन होने से चावल जमा नहीं हो पाया, मिलर्स के इस जवाब को प्रशासन ने असंतुष्ट होकर नकार दिया. वहीं राइस मिलों में 80 मेट्रिक टन धान की कमी पाए जाने पर प्रशासन ने अब तक दोषी राइस मिलर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की है. जिसकी वजह से राइस मिलर्स के हौसले बुलंद हैं. चावल की कमी के पीछे कयास लगाया जा रहा है कि चावल उठाने के बाद या तो राइस मिलर्स ने चावल बेच दिया या DO एडजेस्टमेंट कराकर धान के पैसे ले लिए, जिसकी वजह से मिलों में धान की कमी हो गई और अब जिले में चावल की भारी कमी हो गई है.

ममाले में वेयर हाउस कारपोरेशन लिमिटेड पेण्ड्रा के नोडल ऑफिसर एस कश्यप का कहना है कि जिले के वेयर हाउस कॉरपोरेशन के गोदामों की भंडारण क्षमता लगभग 15600 मेट्रिक टन है, वहीं जिले में लगभग 5000 मेट्रिक टन चावल ही बचा है. वहीं हर महीने लगभग 34888 क्विंटल चावल का पूरे जिले में उठाव और राशन दुकानों में भंडारण होता है. नियमों के अनुसार वेयरहाउस के गोदामों में किसी भी स्थिति में कुल उठाव का 3 महीने का चावल भंडारित होना ही चाहिए, लेकिन जिले में राइस मिलों द्वारा चावल जमा नहीं करने से स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई है. दरअसल, जिले के ज्यादातर राइस मिलों ने कई महीने से निर्धारित मात्रा में सीएमआर जमा नहीं किया, जिससे चावल जमा नहीं होने से भंडारीत चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बांटा गया और नया चावल नहीं आने से स्टाक की भरपाई नहीं हो सकी. अब गोदामों में एक तिहाई चावल ही बचा है. वर्तमान में स्थिति यह है कि इस महीने का उठाव करने के बाद अगर चावल जमा नहीं हुआ तो अगले महीने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बांटने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम के पास चावल नहीं है.

पेंड्रा की जिला खाद्य अधिकारी श्वेता अग्रवाल का कहना है कि विभाग लगातार राइस मिलरों  पर दबाव बनाए जा रहा है कि वह चावल जमा करें, जिसके लिए कई बैठक भी की गईं और नोटिस भी निकाला गया, लेकिन राइस मिलर्स चावल जमा नहीं कर रहे हैं जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. प्रशासन एवं खाद्य विभाग लगातार मिलर्स पर दबाव बना रहा है कि 2 दिन के भीतर चावल जमा करें.

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