छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस एके प्रसाद ने अनवर ढेबर का इलाज करने वाले डॉक्टर को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि, राज्य शासन का यह आदेश कलंकपूर्ण है। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम का उल्लंघन करते हुए राज्य शासन ने एक पक्षीय आदेश जारी किया है, जो अवैधानिक है। उसे निरस्त किया जाता है। दरअसल, शराब घोटाले के आरोपी अनवर ढेबर को इलाज कराने के लिए रायपुर सेंट्रल जेल से जिला अस्पताल लाया गया था। जिला अस्पताल में लोअर इंडोस्कोपी मशीन के खराब होने के कारण डॉ प्रवेश शुक्ला ने उसे एम्स रेफर कर दिया था। जिस पर सेवा में कमी और अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए राज्य शासन ने उसकी सेवा समाप्त कर दी। गोलबाजार थाने में एफआईआर भी दर्ज करा दी। बर्खास्त डॉक्टर ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका सहायक प्राध्यापक गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ प्रवेश शुक्ला ने एडवोकेट संदीप दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अस्पताल अधीक्षक और एकेडमी इंजार्च के 8 अगस्त 2024 के बर्खास्तगी आदेश को चुनौती दी। इसमें बताया गया कि याचिकाकर्ता पर स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के मनमानेपूर्ण आदेश से उनका करियर चौपट जो जाएगा। उन्होंने कहा कि बगैर विभागीय जांच कराए और सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिए बिना कलंकपूर्ण आदेश पारित कर उसकी सेवा समाप्त की गई है, जो अवैधानिक है। एम्स और प्राइवेट अस्पताल छोड़कर जॉइन किया संविदा पद याचिकाकर्ता ने डॉक्टर ने अपनी याचिका में कहा कि, वो एक सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर है। उनके पास MBBS, MS(सर्जरी), Dr.NB (डॉक्टरेट ऑफ नेशनल बोर्ड सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) सुपर स्पेशलिस्ट कोर्स की डिग्री है और वह गैस्ट्रोएंटरोलॉजी सर्जन के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध डॉक्टर है। प्राइवेट प्रैक्टिस के बजाए उन्होंने सरकारी अस्पताल में काम करने को प्राथमिकता दी है। वह छत्तीसगढ़ का एकमात्र डॉक्टर है, जो DKS अस्पताल में पदस्थ थे। याचिकाकर्ता ने बताया कि, इसके पहले वह GB पंत सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली में सीनियर रेजिडेंट के रूप में काम कर चुके हैं। उसके बाद वह AIMS भोपाल में सहायक प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। करीब 2 साल काम करने के बाद वह चिकित्सा क्षेत्र में सेवा करने के लिए छत्तीसगढ़ वापस आ गए। 11 अगस्त 2023 को उन्होंने DKS अस्पताल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के तहत एक सर्जन (गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) के रूप में संविदाआधार पर नियुक्त मिलने के बाद काम करना शुरू किया था। एम्स रेफर करने का आरोप लगाकर शासन ने की कार्रवाई डॉ. प्रवेश शुक्ला पर आरोप है कि, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी सर्जन होने के नाते ओपीडी में इलाज करते समय उन्होंने अनवर ढेबर को एम्स में रेफर कर दिया, क्योंकि जीआई. एंडोस्कोपी (कोलोनोस्कोपी) उपकरण विभाग में उपलब्ध नहीं था। यदि कोलोनोस्कोपी विभाग में उपलब्ध नहीं है, तो वह इसे अन्य सरकारी अस्पताल से करवा सकता था, जो पूर्णतः अनुशासनहीनता है। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 का उल्लंघन है। कानूनी कार्रवाई के संबंध में राज्य शासन ने नोटिस जारी कर दो दिनों भीतर स्पष्टीकरण मांगा। फिर उन्हें पद से बर्खास्त करते हुए थाने में केस भी दर्ज करा दी। एमडी नहीं होने के कारण कोलोनोस्कोपी की नहीं है विशेषज्ञता याचिकाकर्ता डॉक्टर ने बताया कि, विवाद लोअर जीआई एंडोस्कोपी (कोलोनोस्कोपी) की उपलब्धता से संबंधित है। कोलोनोस्कोपी आमतौर पर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (जो चिकित्सा पर सुपर स्पेशलिस्ट की डिग्री रखता है) के द्वारा की जाती है। उसके पास गैस्ट्रोएंटरोलॉजी सर्जन की सुपर स्पेशलिस्ट डिग्री है। मेडिसिन की डिग्री उसके पास नहीं है, इसलिए वह कोलोनोस्कोपी उपकरण चलाने के लिए इस क्षेत्र का विशेषज्ञ नहीं है। याचिका के अनुसार उसने जांच समिति गठित करने और मामले की जांच करने के लिए सक्षम प्राधिकारी के समक्ष मांग भी की। लेकिन अब तक अधिकारियों ने जांच समिति गठित नहीं की और न ही मामले की जांच की। हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश को बताया अवैधानिक एडवोकेट संदीप दुबे की तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस प्रसाद ने अपने फैसले में लिखा है कि, राज्य शासन के आदेश को देखकर लगता है कि यह एक कलंकपूर्ण आदेश है, जिसमें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के उल्लंघन किया गया है। लिहाजा, याचिकाकर्ता को विभागीय जांच में शामिल कर उसकी सुनवाई की जानी आवश्यक है, जो वर्तमान मामले में नहीं की गई है। हाईकोर्ट ने आदेश को विवादित मानते हुए निरस्त करने का आदेश दिया है।

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