चीन ने संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी संगठन के दूसरे नंबर के ओहदेदार अब्दुल रऊफ अजहर को ब्लैक लिस्ट में डालने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव को एक बार फिर बाधित कर दिया है।

जैश-ए-मोहम्मद का ओहदेदार अब्दुल रऊफ अजहर 1999 में कंधार में आईसी-814 विमान अपहरण की घटना और 2019 में पुलवामा हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में गिना जाता है जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे। रऊफ को प्रतिबंधित करने के संयुक्त राष्ट्र में आए एक प्रस्ताव पर चीन के रोक लगाने के बाद से वह चर्चा में है। जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का भाई रऊफ अजहर 1999 से भारतीय प्रतिष्ठानों पर हमलों की साजिश रचने के मामले में सबसे आगे रहा है। इनमें संसद पर 2001 का हमला, अयोध्या में 2005 में हमला और पठानकोट में भारतीय वायु सेना के एक अड्डे पर हमला शामिल है।

अमेरिका ने उसे 2010 में वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। वह सबसे पहले 1999 में सुर्खियों में आया था जब काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले एक विमान का 24 दिसंबर को अपहरण कर तालिबान के नियंत्रण वाले कंधार ले जाया गया था। जब 31 दिसंबर, 1999 को इस घटनाक्रम का पटाक्षेप हुआ तो सुरक्षा एजेंसियों ने रऊफ अजहर की पहचान जम्मू की कोट बलवाल जेल से अपने भाई मसूद अजहर की रिहाई की साजिश रचने वालों में मुख्य कर्ताधर्ता के तौर पर की।

रऊफ अजहर के हमलों की साजिश की वजह से भारत और पाकिस्तान कम से कम दो बार युद्ध के कगार पर पहुंच गए हैं। एक बार संसद हमले के समय और दूसरी बार सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले के समय। इन हमलों के सिलसिले में 48 साल के रऊफ के खिलाफ इंटरपोल के अनेक रेड कॉर्नर नोटिस लंबित हैं। इंटरपोल के एक नोटिस के मुताबिक रऊफ अजहर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, या इसके लिए कोशिश करने या उकसाने के मामले में वांछित है।

वीडियो में ली थी पठानकोट हमले की जिम्मेदारी

रऊफ अजहर का एक वीडियो पाकिस्तान में एक वेबसाइट पर डाला गया था जिसमें उसे पठानकोट हमले की जिम्मेदारी लेते हुए और इसके लिए अपने लड़कों की तारीफ करते हुए देखा गया था। इस वीडियो को इंटरपोल को भेजा गया था। वीडियो को बाद में हटा दिया गया और वेबसाइट को भी बंद कर दिया गया।

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